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Sunday, May 5, 2024

कोरोना महामारी के बाद आर्थिक तंगी से जूझ रहे कई प्राइवेट स्कूलों पर लगा ताला

विभिन्न इलाकों में चल रहे 150 बजट निजी स्कूलों पर ताला लग गया है। इनमें प्ले, प्राइमरी, मिडिल व सेकेंडरी स्कूल शामिल हैं। कोरोना महामारी के बाद से आर्थिक तंगी से जूझ रहे इन स्कूलों को संचालकों ने बंद कर दिया है, जबकि कुछ बंद करने की तैयारी में हैं। कुछ सेकेंडरी स्कूलों ने बच्चों की घटती संख्या के कारण अपने को मिडिल तक सीमित कर लिया है।

ताला लगने की मुख्य वजह स्कूलों में बच्चों की संख्या काफी कम होना बताया जा रहा है। इस कारण से उन्हें आर्थिक तंगी को झेलना पड़ रहा है, जबकि कामर्शियल, प्रॉपर्टी टैक्स, बिजली-पानी, वेतन व अन्य किसी प्रकार का खर्च कम नहीं हुआ है। इन्हें स्कूल अब वहन नहीं कर पा रहे हैं। वहीं, इन स्कूलों में फीस नहीं देनी पड़े इस कारण कई बच्चे सरकारी स्कूल में शिफ्ट हो गए हैं, तो किसी ने इन स्कूलों से बिना टीसी के ही आसपास के सरकारी स्कूल में दाखिला ले लिया है।

 

 

 

दिल्ली के विभिन्न इलाकों में काफी बजट निजी स्कूल प्ले, प्राइमरी (पहली से पांचवीं) व पहली से आठवीं तक चलते हैं। पहली से पांचवीं व पहली से आठवीं तक के इन स्कूलों मेें बच्चों की संख्या 100 से 300 तक थी। यह ऐसे स्कूल हैं जिनमें अभिभावक नामी निजी स्कूलों की मोटी फीस नहीं दे सकने के कारण अपने बच्चे का दाखिला कराते हैं। इन बजट स्कूलों की फीस 500 से 1500 रुपये तक की होती है। दिल्ली स्टेट पब्लिक स्कूल मैनेजमेंट की सरकार से मांग की है इसी प्रकार से स्कूल बंद होते रहे तो दिल्ली में शिक्षा का भारी संकट पैदा हो जाएगा। सरकार ऐसे स्कूलों के साथ बैठ कर के समस्या का समाधान करें तभी बंद होते स्कूलों को रोका जा सकेगा।

दिल्ली स्टेट पब्लिक स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष आरसी जैन ने बताया कि दिल्ली में ऐसे करीब 100 से 150 तक स्कूल हैं, जो कि आर्थिक तंगी की वजह से बंद हो गए हैं। कुछ ने निदेशालय को बिना बताए स्कूल पर ताला लगा दिया है जबकि कुछ अगले साल तक बंद करने की तैयारी में हैं और निदेशालय को बता चुके हैं।

जैन कहते हैं कि कोरोना के कारण दो साल स्कूल बंद रहे, तब अभिभावकों ने फीस देनेे मेें आनाकानी की, दिल्ली सरकार ने निर्देश दिया कि फीस नहीं दे पा रहे तो बिना टीसी के सरकारी स्कूल में दाखिला ले लो, सरकार ने फीस बढ़ाने की अनुमति नहीं दी। ईडब्लयूएस श्रेणी के तहत दाखिला पाए बच्चों का पैसा सरकार दो तीन साल तक देती नहीं। सामान्य श्रेणी के बच्चे लगातार कम हो रहे थे। इस कारण से स्कूल लंबे समय से आर्थिक तंगी का सामना कर रहे थे। ऐसे में वह स्कूल के खर्चे वहन नहीं कर पा रहे थे शिक्षकों को वेतन देने में भी कठिनाई आ रही थी। जो बच्चे इन स्कूलों में पढ़ रहे थे उन्हें कम फीस वाले स्कूल में शिफ्ट किया गया है।

बाल विकास पब्लिक स्कूल कल्याण पुरी, पंडित दीवान चंद स्कूल, पंडित नित्यानंद स्कूल, सिटी को-एड स्कूल शाहदरा, दयानंद विद्या मंदिर गांधीनगर, जैन भारती उत्तम नगर, दिव्या पब्लिक स्कूल सादतपुर, एमिनेंट पब्लिक स्कूल बाबरपुर, गैलेक्सी पब्लिक स्कूल मंडावली, गीतांजलि पब्लिक स्कूल वजीराबाद रोड, ग्रीन लाइट पब्लिक स्कूल गीता कॉलोनी, जूपिटर पब्लिक स्कूल कृष्णानगर, निधि पब्लिक स्कूल कैलाश नगर, ओरिएंटल पब्लिक स्कूल, प्रिया पब्लिक स्कूल गांधीनगर, रघुनाथ बाल मंदिर स्कूल गोपाल नगर, ऑक्सफोर्ड पब्लिक स्कूल, स्कूल लगातार बंदी की कगार से जूझ रहे है।

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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