29 C
Delhi
Monday, May 6, 2024

टेलीविजन और सोशल मीडिया पर भ्रामक विज्ञापनों पर सरकार ने सख्त तेवर दिखाए

उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने बुधवार को विज्ञापन एजेंसियों को सरोगेट विज्ञापनों ( Surrogate Advertisements) पर दिशा-निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने एडवरटाइजिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया, इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फाउंडेशन, ब्रॉडकास्टिंग कंटेंट कंप्लेंट्स काउंसिल, न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन, एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया, पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई), भारतीय वाणिज्य एंव उद्योग मंडल (एसोचैम), इंटरनेशनल स्पिरिट्स एंड वाइन एसोसिएशन ऑफ इंडिया और इंडियन सोसाइटी ऑफ एडवरटाइजर्स को भ्रामक विज्ञापनों की रोकथाम और भ्रामक विज्ञापनों का समर्थन नहीं करने, विशेष रूप से सरोगेट विज्ञापनों से संबंधित प्रावधानों के दिशा-निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने को कहा है।

उपभोक्ता संरक्षण नियामक (सीसीपीए) की ओर से कहा गया है कि यदि दिशा-निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित नहीं किया गया तो उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने कहा कि यह गौर किया गया है कि विज्ञापन के मामलों में दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन नहीं हो रहा और प्रतिबंधित उत्पादों का विज्ञापन अभी भी सरोगेट विज्ञापन के माध्यम से किया जा रहा है। हाल के खेल आयोजनों के दौरान, जो विश्व स्तर पर प्रसारित किए गए थे, ऐसे सरोगेट विज्ञापनों के कई उदाहरण देखे गए थे।

दिशा-निर्देशों के मुताबिक, कानूनन जिन उत्पादों के प्रचार-प्रसार पर प्रतिबंध है ऐसे उत्पादों का किसी अन्य बहाने से प्रचार गैरकानूनी है। मंत्रालय ने कहा कि कई शराब के ब्रांड का म्यूजिक सीडी, क्लब सोडा और बोतलबंद पेय की आड़ में विज्ञापन किया जा रहा है। वहीं, गुटका और खैनी का इलायची की आड़ में प्रचार किया जा रहा है। यही नहीं, ऐसे ब्रांड सेलिब्रिटी का इस्तेमाल कर रहे हैं जिसका युवाओं पर गलत प्रभाव पड़ रहा है।

बता दें कि किसी विज्ञापन में प्रोडक्ट को बढ़ा-चढ़ाकर बताना या उसकी आंड़ में किसी दूसरी चीज का प्रमोशन नहीं किया जा सकता है। हाल ही में केंद्र सरकार ने विज्ञापनों को लेकर नए दिशा-निर्देश जारी किए थे। इसके बाद सोडा वॉटर के नाम पर शराब बेचने और इलाइची के नाम पर गुटखे का विज्ञापन करने पर प्रतिबंध है। सरकार का मकसद भ्रमित करने वाले विज्ञापनों (Misleading Advertisment) पर रोक लगाना है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के नए दिशा-निर्देश के मुताबिक, विज्ञापन जारी करने से पहले सावधानी बरतनी होगी और दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा।

हम अक्सर टीवी पर ऐसे विज्ञापन देखते हैं, जो होता तो किसी खास प्रोडक्ट के लिए लेकिन उसकी जगह पर कोई दूसरा ही प्रोडक्ट दिखाया जाता है। जैसे आपने किसी शराब, तंबाकू या ऐसे ही किसी प्रोडक्ट का विज्ञापन देखा होगा, जिसमें प्रोडक्ट के बारे में सीधे नहीं बताते हुए उसे किसी दूसरे ऐसे ही प्रोडक्ट या पूरी तरह अलग प्रोडक्ट के तौर पर दिखाया जाता है। उदाहरण के लिए शराब बनाने वाली कंपनियां टीवी पर विज्ञापन जारी करती हैं, लेकिन इनके विज्ञापन में शराब का जिक्र न होकर सोडा ड्रिंक या म्यूजिक सीडी का जिक्र होता है।

टीवी पर शराब, तंबाकू जैसे उत्पादों के विज्ञापन को सीधे तौर पर नहीं दिखाया जाता है। ऐसे प्रोडक्ट्स के विज्ञापन के लिए दूसरे प्रोडक्ट का सहारा लिया जाता है। ऐसे ही विज्ञापनों को सरोगेट विज्ञापन कहा जाता है। प्रतिबंधित विज्ञापनों को दिखाने के लिए सरोगेट विज्ञापन का इस्तेमाल किया जाता है। ये ऐसे विज्ञापन होते हैं जिनके बारे में सीधे तौर पर नहीं बताया जाता है। आसान भाषा में समझें तो विज्ञापन में दिखाया कुछ और जाता है, लेकिन प्रचार किसी दूसरी चीज का किया जाता है।

सरोगेट विज्ञापन का एक चर्चित मामला अक्तूबर, 2021 में सामने आया था, जिसमें बॉलीवुड सुपरस्टार अमिताभ बच्चन दिखाई दिए थे। दरअसल वो विज्ञापन एक पान मसाला कंपनी का था। सोशल मीडिया पर विवाद बढ़ने पर अमिताभ बच्चन ने दावा किया था कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी कि यह सरोगेट विज्ञापन है। इसके बाद उन्होंने कंपनी को प्रमोशन फीस भी लौटा दी थी।

 

 

anita
anita
Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
3,912FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles