अयोध्या।(फरवरी 27, 2024)। बुधवार , विश्व हिन्दू परिषद की केंद्रीय प्रन्यासी मंडल व प्रबंध समिति की त्रिदिवसीय बैठक उत्तर प्रदेश के अयोध्या के कार सेवक पुरम् में संपन्न हुई । बैठक में देश की वर्तमान स्थिति पर चर्चा कर हिंदू समाज के समक्ष खड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए षष्ठी पूर्ति वर्ष में संगठन के विस्तार की योजनाएं भी बनाई गईं। विश्व हिन्दू परिषद के नव-निर्वाचित महामंत्री बजरंग लाल बागड़ा ने इस अवसर पर कहा कि विश्व हिंदू परिषद यह संकल्प लेता है कि भगवान श्री राम का भव्य मंदिर बनने के साथ ही संगठन, समाज और विदेशस्त हिंदुओं में रामत्व के प्रसारऔर संस्कारित व सबल समाज की पुनर्स्थापना के लिए विश्व हिंदू परिषद प्रतिबद्ध है । इसके लिए विहिप के इस षष्ठीपूर्ति वर्ष के अंत तक हम देश भर में लगभग एक लाख स्थानों तक अपने कार्य का विस्तार करेंगे। श्री राम की मर्यादाओं की पुनर्स्थापना जन-जन के अंतःकरण में करा कर एक संस्कारवान, समर्पित व सुरक्षित हिंदू समाज बनाएंगे।
विहिप महामंत्री ने कहा कि सेवा कार्यों का विस्तार, गौ रक्षा और गौ संवर्धन के साथ धर्मांतरण को रोकने तथा घर वापसी के कार्य को और गति देने के बारे में भी बैठक में विस्तार से चर्चा हुई। विदशों में बसे हिंदुओं के साथ संपर्क और समन्वय को और अधिक मज़बूत बना कर उनकी समस्याओं के यथोचित समाधान जैसे विषय पर भी चिंतन किया गया ।
विश्व हिंदू परिषद के नव निर्वाचित राष्ट्रीय महामंत्री बजरंग बागड़ा ने समान नागरिक संहिता लागू करने पर उत्तराखंड सरकार का अभिनंदन किया और आशा व्यक्त किया कि शेष राज्य भी एक सशक्त समान नागरिक संहिता लाएंगे जिससे देशवासियों के बीच भेदभाव समाप्त हो सके और सभी बच्चों तथा महिलाओं को समान अधिकार मिल सकें।
उन्होंने यह भी कहा कि सामाजिक समरसता की दृष्टि से हमने बहुत कार्य किया है किंतु अभी और बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। धर्मांतरण रोकने के लिए कुछ राज्यों ने कठोर कानून बनाए गये हैं किंतु अन्य राज्य भी इस बारे में आगे बढ़ें। बजरंग लाल बगड़ा ने कहा कि CAA यानी नागरिकता संशोधन अधिनियम के नियम जारी होते ही हमारे कार्यकर्ता पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धर्म आधारित उत्पीड़न का शिकार हिंदू जैन, सिख, बौद्ध बंधु भगिनियों की नागरिकता के संदर्भ में भी शीघ्रता के साथ कार्य करेंगे ।
बता दें यह बैठक हर 6 महीने में आयोजित की जाती है जिसमें विश्व हिन्दू परिषद के संपूर्ण विश्व में रहने वाले प्रन्यासी तथा प्रबंध समिति के सदस्य भाग लेते हैं। अयोध्या की बैठक में कुल 371 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।