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Saturday, April 27, 2024

इलाहाबाद हाईकोर्ट: संदिग्ध संक्रमित की मौत को भी कोरोना के आंकड़ों में शामिल करे यूपी सरकार

हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में शवों को बिना प्रोटोकॉल लौटाना भयंकर भूल होगी।
जेलों में भीड़भाड़ से आरोपी की जान का संकट देखते हुए हाईकोर्ट ने दिया फैसला

नई दिल्ली, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार और अस्पतालों को कोरोना के संदिग्ध मरीजों की मौत संक्रमण से मौत के आंकड़ों में जोड़ने के निर्देश दिए हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में शवों को बिना प्रोटोकॉल लौटाना भयंकर भूल होगी। अहर मृतक में हृदय रोग या किडनी की समस्या नहीं है तो उसे संक्रमण से मौत ही माना जाए। यूपी में कोरोना पर स्वत: संज्ञान मामले में सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को ये निर्देश दिए। हाईकोर्ट ने सरकार को अगले 48 घंटे में हर जिले में तीन सदस्यीय महामारी जनशिकायत समिति बनाने के भी निर्देश दिए। 

एक अन्य मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोरोना संक्रमण से जेलों में अधिक भीड़ होने पर आरोपी की जान को खतरा देखते हुए कहा है कि इस समय आरोपी को सीमित अवधि के लिए अग्रिम जमानत देना उचित है। कोर्ट का कहना है कि प्रदेश में कोरोना के बढ़ते संक्रमण व जेलों में भीड़भाड़ होने से आरोपी के जीवन को जेल में खतरा उत्पन्न हो सकता है। सीमित अवधि के लिए अग्रिम जमानत से जेल में कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा कम होगा।

यह आदेश जस्टिस सिद्धार्थ ने गाजियाबाद के प्रतीक जैन की अर्जी पर दिया है। याची एक धोखाधड़ी के केस में आरोपी बनाया गया है। कोर्ट ने कहा कि यदि याची गिरफ्तार होते हैं तो उन्हें सीमित अवधि तीन जनवरी 2022 तक के लिए अग्रिम जमानत दी जाए। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में जेलों में भीड़भाड़ होने से रोकने के लिए निर्देश दिया है, ऐसे में इस निर्देश की अनदेखी कर जेलों में भीड़भाड़ बढ़ाने का निर्देश नहीं दिया जा सकता है। 

हाईकोर्ट ने कहा कि सरकारी वकील भी यह आश्वासन नहीं दे पा रहे हैं कि आरोपी को जेल में जाने से उसे कोरोना संक्रमण के खतरे से बचाव किया जा सकेगा। कोर्ट ने कहा कि असाधारण परिस्थिति में असाधारण उपचार की आवश्यकता होती है। जेल में जाने से जेल के अंदर संपर्क में आने वालों के साथ इस महामारी के फैलने से इंकार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि इस असाधारण परिस्थिति में आरोपी की अग्रिम जमानत मंजूर करने का पर्याप्त आधार है। 

हाईकोर्ट ने आदेश में कहा कि विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना वायरस की सितंबर में तीसरी लहर आने की संभावना है। कोर्ट का काम बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। आगे कब तक प्रभावित रहेगा, यह अनिश्चितता बनी हुई है। याची के खिलाफ गाजियाबाद में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। कोर्ट ने याची को राहत देते हुए कहा कि वह जांच में सहयोग करेगा और किसी प्रकार से साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ नहीं करेगा।
गांवों और छोटे शहरों में सुविधाओं के अभाव में हो रही हैं मौतें
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ग्रामीण इलाकों और छोटे शहरों व कस्बों में कोरोना संक्रमण के फैलने पर चिंता जताते हुए कहा है कि सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में अभी तक कोरोना से पीड़ित मरीजों के उपचार की सुविधाएं नहीं हैं। लोग इलाज के अभाव में मर रहे हैं। कोर्ट ने राज्य सरकार से छोटे कस्बों, शहरों और गांवों में सुविधाओं तथा टेस्टिंग का ब्योरा मांगा है। कोरोना पीड़ित मरीजों को जीवन रक्षक दवाएं और सही इलाज न मिलने की शिकायतों की जांच के लिए कोर्ट ने 48 घंटे के भीतर हर जिले में तीन सदस्यीय कमेटी गठित करने का निर्देश दिया है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट स्तर का न्यायिक अधिकारी, मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर व एडीएम रैंक के एक प्रशासनिक अधिकारी इस कमेटी के सदस्य होंगे। ग्रामीण इलाकों में तहसील के एसडीएम से सीधे शिकायत की जा सकेगी, जो शिकायतों को शिकायत समिति के समक्ष भेजेंगे। 

कोविड 19 महामारी की रोकथाम और इंतजामों की निगरानी कर रही न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अजीत कुमार की पीठ ने बहराइच, बाराबंकी, बिजनौर, जौनपुर और श्रावस्ती जैसे छोटे जिलों में स्वास्थ्य सुविधाओं और कोरोना से लड़ने के लिए आवश्यक जीवन रक्षक सुविधाओं का ब्योरा अगली तारीख पर प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। इसके अलावा शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में की गई टेस्टिंग का भी रिकार्ड तलब किया है। 

जस्टिस वीके श्रीवास्तव की मौत की जांच के लिए कमेटी गठित
इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति वीके श्रीवास्तव की कोरोना से मौत और उनके इलाज में लापरवाही की शिकायत पर कोर्ट के निर्देश पर सरकार की ओर से इलाज संबंधी दस्तावेज अदालत में सौंपे गए। कोर्ट ने एसजीपीजीआई के सीनियर पनमनोलॉजिस्ट और हाईकोर्ट लखनऊ बेंच के एक सीनियर एडवोकेट और सरकार के सचिव स्तर के अधिकारी की संयोजक के रूप में नियुक्ति कर जांच कराने का निर्देश दिया है। लखनऊ बेंच के सीनियर रजिस्ट्रार को कमेटी के तीनों सदस्यों के बीच तालमेल बैठाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने दो सप्ताह में जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।जांच समिति का गठन तीन दिन में करने का निर्देश दिया है।

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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