गजब का हौसला, जान जोखिम में डालकर निभा रहीं जिम्मेदारी
कोरोना से लड़ाई में अहम भूमिका निभा रहीं नर्स, जान पर खेलकर मरीजों का इलाज करने में मदद कर रही हैं।
नई दिल्ली, कोरोना महामारी के इस दौर में चिकित्सीय स्टाफ ने अपना सब कुछ झोंका हुआ है। इनमें नर्स बेहद अहम भूमिका निभा रही हैं। जान पर खेलकर मरीजों का इलाज करने में मदद कर रही हैं। अपने घरों से दूर, परिवार से दूर रहकर भी अपनी ड्यूटी पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ कर रही हैं। आज अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस है। इस दिन इनकी सेवा को याद करना बहुत जरूरी है, क्योंकि बिना नर्सिंग स्टाफ के इस लड़ाई को लड़ना कतई मुमकिन नहीं है। ये चौबीसों घंटे काम कर रही हैं। इनकी सहायता और सेवा के लिए ‘धन्यवाद’ शब्द भी छोटा लग रहा है।
1965 में हुई थी शुरुआत
नर्सिंग के संस्थापक फ्लोरेंस नाइटइंगेल का जन्म 12 मई 1820 को हुआ था। उन्हीं की याद में इस दिन को मनाते हैं। सबसे पहले इस दिवस की शुरुआत वर्ष 1965 में की गई थी। तब से लेकर आज तक यह दिवस इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्सेज द्वारा अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस के रूप में मनाया जाता है।