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Monday, May 6, 2024

गोलीबारी में 19 बच्चों की मौत के बाद भी गन लॉबी का समर्थन करते नजर आए ट्रंप, बंदूकों को लेकर बोले

अमेरिका के टेक्सास में एक स्कूल में हुए नरसंहार के बाद गन लॉबी को लेकर बहस छिड़ गई है। जड़ें जमा चुकी इस गन लॉबी को खत्म करने की मांग उठ रही है। इसके अलावा गन एक्ट को लेकर भी बदलावों की मांग की जा रही है। ऐसे में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस गन लॉबी का समर्थन किया है। उन्होंने कहा है कि सभ्य और कानून का पालन करने वाले अमेरिकियों को अपराधियों से खुद को बचाने के लिए बंदूक रखने की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने कड़े बंदूक नियंत्रण की मांग को सिरे से खारिज कर दिया।

सुरक्षा में सुधार की जरूरत
ट्रंप ने कहा, जो लोग कानून का पालन करने हैं उनसे हथियार छीनने का कोई कारण नहीं है। उन्हें खुद को अपराधियों से बचाने के लिए हथियार रखने की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा, बंदूक नियंत्रण नीतियों को वामपंथियों द्वारा हवा दी जा रही है। उन लोगों ने भयावहता को रोकने के लिए कुछ नहीं किया है। ट्रंप ने कहा, हमारे लिए इस समय सबसे ज्यादा जरूरी है कि हम नीचे से लेकर ऊपर तक सुरक्षा में सुधार करें। स्कूलों में सख्त सुरक्षा की जरूरत है।

बाइडन ने गन लॉबी के खिलाफ दिए थे संकेत 
टेक्सास के स्कूल में हुई गोलीबारी और 21 लोगों की मौत के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने गन एक्ट के खिलाफ बदलाव के संकेत दिए थे। उन्होंने कहा था कि गन लॉबी के खिलाफ मजबूती से खड़ा होना होगा। पूर्व राष्ट्रपति बोराक ओबामा भी ये मानते हैं कि अमेरिका गन लॉबी से पंगु हो गया है। एक राजनैतिक पार्टी ने इस पर किसी तरह की कार्रवाई करने की इच्छा नहीं जताई, जिससे ऐसे हादसों को रोका जा सके।

बहुत आसान है हथियारों की खरीदारी 
अमेरिका में इस तरह की घटनाओं के बीच बड़ा कारण यहां का गन एक्ट है। अमेरिका में ‘गन कल्चर’ का संबंध वहां के संविधान से जुड़ा है। अमेरिका में बंदूक रखने का कानूनी आधार संविधान के दूसरे संशोधन में निहित है। द गन कंट्रोल एक्ट 1968 (GCA) के मुताबिक, राइफल या कोई भी छोटा हथियार खरीदने के लिए उम्र कम से कम 18 साल होनी चाहिए, दूसरे हथियार मसलन हैंडगन खरीदने के लिए 21 साल की उम्र होनी चाहिए। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 33 करोड़ की आबादी वाले अमेरिका में आम नागरिकों के पास 39 करोड़ हथियार हैं।

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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