36.7 C
Delhi
Monday, May 6, 2024

सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए राष्ट्रद्रोह कानून की धारा 124 ए पर रोक लगा दी

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए राष्ट्रद्रोह कानून की धारा 124 ए पर रोक लगा दी। शीर्ष कोर्ट ने इसके तहत दायर सभी लंबित मामलों पर भी रोक लगा दी गई है।

कोर्ट ने कानून पर केंद्र सरकार को पुनर्विचार का निर्देश दिया है। साफ कहा है कि इस धारा के तहत अब कोई नया केस दर्ज नहीं होगा और इसके तहत जेल में बंद लोग कोर्ट से जमानत मांग सकेंगे। शीर्ष कोर्ट ने केंद्र व राज्यों को भादंवि की धारा 124 ए के पुनरीक्षण की इजाजत देते हुए कहा कि जब यह काम पूरा न हो, कोई नया केस इस धारा में दर्ज नहीं किया जाए।

इससे पहले राष्ट्रद्रोह कानून (Sedition law) को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर बुधवार को भी सुनवाई हुई। सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र का पक्ष रखा।अपनी दलीलें पेश करते हुए उन्होंने कहा कि एक संज्ञेय अपराध को दर्ज करने से रोकना सही नहीं होगा। प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ से मेहता ने कहा कि 1962 में एक संविधान पीठ ने राष्ट्रद्रोह कानून की वैधता को कायम रखा था। इसके प्रावधान संज्ञेय अपराधों के दायरे में आते हैं। उन्होंने कोर्ट से कहा कि हां, ऐसे मामलों में एफआईआर दर्ज करने की निगरानी की जिम्मेदारी पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी को दी जा सकती है।

 

उन्होंने शीर्ष कोर्ट से कहा कि जहां तक देशद्रोह के विचाराधीन मामलों का सवाल है, हर केस की गंभीरता अलग होती है। किसी मामले का आतंकी कनेक्शन तो किसी का मनी लॉन्ड्रिंग कनेक्शन हो सकता है। अंतत: लंबित केस अदालतों के समक्ष विचाराधीन होते हैं और हमें कोर्ट पर भरोसा करना चाहिए। केंद्र सरकार की ओर से साफतौर पर कहा गया कि राष्ट्रद्रोह के प्रावधानों पर रोक का कोई भी आदेश पारित करना अनुचित होगा। इन्हें संविधान पीठ ने कायम रखा है।

दरअसल, भादंवि की धारा 124A, देशद्रोह या राजद्रोह को अपराध बनाती है, उसके गलत इस्तेमाल को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई हैं। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने गत दिवस कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले निर्देश के बाद, मंत्रालय ने इस कानून के प्रावधानों पर विचार और जांच करने का फैसला लिया है।

वर्ष 2014 से 2019 के बीच देश में इस विवादित कानून के तहत कुल 326 मामले दर्ज किए गए थे। इनमें से केवल छह लोगों को दोषी ठहराया गया। केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार कुल 326 मामलों में से सबसे ज्यादा 54 मामले असम में दर्ज किए गए थे। हालांकि, 2014 से 2019 के बीच एक भी मामले में दोष सिद्ध नहीं हुआ था

anita
anita
Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
3,912FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles