तीन पुरियों (काशी, मथुरा, अयोध्या) का गुलाल त्रिपुरारी के भाल लगाकर काशीवासियों ने होली खेलने की अनुमति ली। भूतभावन शिव की नगरी काशी में रंगभरी एकादशी के साथ ही होली की मस्ती शुरू हो गई। मां गौरा के साथ जब काशीपुराधिपति गलियों में निकले तो हर-हर महादेव… के साथ ही जय श्रीराम… का जयघोष गूंजा। बुधवार को पूर्व महंत के आवास पर एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने शिव-गौरा के गौना के ठीक पहले उनके साथ होली खेली
बुधवार को अयोध्या के कर्मकांडी ब्राह्मणों की रामभक्त मंडली और कृष्ण नगरी मथुरा कारागार के बंदियों के हाथों तैयार खास अबीर-गुलाल की बौछार के बीच गौरा ससुराल विदा हुईं। भगवान शंकर के साथ गौरी गणेश को गोद में लेकर रजत पालकी पर सवार टेढ़ीनीम स्थित पूर्व महंत के आवास से गौरा की पालकी निकली तो काशीवासियों का उल्लास अपने चरम पर था।
छतों से, बारजों से काशीवासियों ने शिव-पार्वती पर अबीर-गुलाल अर्पित कर होली उत्सव मनाया। भीड़ का आलम यह था कि महंत आवास से मंदिर के बीच की 400 मीटर की दूरी तय करने में डेढ़ घंटे का समय लग गया। सुबह दस बजे से शाम पांच बजे के बीच एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने काशीपुराधिपति की चल रजत प्रतिमा का दर्शन कर गुलाल अर्पित किए।