हिमाचल प्रदेश में फिल्म सिटी बनाना पूरी तरह से अवैज्ञानिक है। यहां पर फिल्म सिटी नहीं चल पाएगी। यह बात बॉलीवुड अभिनेता एवं आरंभ है प्रचंड.. गाने के गायक और लेखक पीयूष मिश्रा ने धर्मशाला में कही। उन्होंने कहा कि दिल्ली में भी फिल्म सिटी बनाई गई थी, लेकिन आज उसकी हालत खस्ता है। अब वहां पर कोई नहीं जाता। फिल्म सिटी केवल मुंबई में ही होनी चाहिए, किसी अन्य स्थान पर फिल्म सिटी सफल नहीं होगी। बॉलीवुड अभिनेता, गायक एवं कवि पीयूष मिश्रा पर्यटन नगरी धर्मशाला आए हुए हैं। उन्होंने कहा कि वैसे तो मैं हिमाचल पूर्व में भी आ चुका हूं, लेकिन धर्मशाला पहली बार आया हूं। यहां के लोग धर्मशाला की तरह ही खूबसूरत और सुंदर हैं।
यहां की प्रकृति, खुबसूरती, लोग, भौगोलिक स्थिति काफी अच्छी है। यहां लोगों से पहली बार मिले हैं फिर भी ऐसा लग रहा है कि कई बार उन लोगों से पहले मिल चुके हैं। पीयूष मिश्रा शुक्रवार को स्वारा माउंटेन आर्ट्स फेस्टिवल के लिए धर्मशाला आए हुए हैं। युवाओं को संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि हर किसी व्यक्ति के जीवन में संघर्ष होता है उसके बिना कोई कुछ नहीं कर सकता। कोई भी चीज या मुकाम ऐसे ही नहीं मिल जाता, उसके लिए कर्म करना पड़ता है। कर्म किया होगा तो उसका फल जरूर मिलेगा। दिल्ली में 20 साल थिएटर किया, उस समय मुंबई का कोई ख्याल भी मन में नहीं था, लेकिन जब मुंबई गए तो वहां कई लोगों ने उन्हें कहा कि वे उन्हें जानते हैं और उनका काम देखा है। तो यह प्रकृति है कि हम जो भी करें कभी न कभी उसका फल जरूर मिलेगा।
रजनीकांत को मानते हैं अपना आदर्श
सिनेमा को लेकर पीयूष मिश्रा ने कहा कि बालीवुड इंडस्ट्री केवल पैसे के लिए हैं। सीनेमा उनके लिए जुनून नहीं है। जुनून केवल लाइव परफोर्मेंस, लाइव इंट्रैक्शन, लाइव पोइट्री, लाइव बैंड और थिएटर है, जिसमें लोगों से बातचीत करने का मौका मिलता है और उनके हुनर को देखने का मौका मिलता है। अमिताभ बच्चन की बजाय मैं रजनीकांत को अपना आदर्श मानता हूं, क्योंकि वे अपनी कमाई का 90 फीसदी हिस्सा दान कर देते हैं। पीयूष ने कहा कि महत्वाकांक्षा इतनी होनी चाहिए कि जिसे पूरा कर सकें। बड़ा बनने के चक्कर में पड़ने की बजाय जो हो उसी में खुश रहो।
हर किसी की महत्वाकांक्षा सबसे ऊपर जाने की है, लेकिन खुद को पहचानना चाहिए कि वे क्या हैं। अगर सपने बड़े देख लो और वहां तक पहुंच न पाओ तो इससे व्यक्ति डिप्रेशन में चला जाता है और आत्महत्या तक का कदम उठा लेता है। यह सब सिनेमा जगत में देखने को मिल रहा है, लेकिन थिएटर में ऐसा कुछ नहीं है। पीयूष मिश्रा ने कहा कि वे गायक नहीं हैं, लेकिन जो गाया वे चर्चित हो गया। आरंभ है प्रचंड गाने को दो दिन में लिख दिया था। निर्देशक अनुराग कश्यप के कहने पर यह गाना लिखा और आज काफी प्रसिद्ध हो गया है। भाजपा इसे हर कहीं डंके की चोट पर बजा रही है।