नोएडा सेक्टर-74 स्थित सुपरटेक केपटाउन सोसाइटी पर शुक्रवार को 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई) ने इसकी जांच की। निवासियों ने सोसाइटी में होने वाली अलग-अलग दुर्घटनाओं के बाद प्राधिकरण से अपील की थी। इसके बाद प्राधिकरण ने यह कदम उठाया।
एओए के अध्यक्ष अरुण शर्मा ने बताया था कि किसी भी प्रकार के जानमाल के नुकसान से बचाव के लिए प्राधिकरण को तुरंत केपटाउन का फॉरेंसिक ऑडिट कराकर निर्माण की खामियों को दूर करना होगा, अन्यथा प्राधिकरण, सरकार और बिल्डर को किसी बड़े हादसे की जिम्मेदारी लेने को तैयार रहना होगा। सोसाइटी में प्लास्टर गिरने, लिफ्ट फंसने, बेसमेंट में पानी के रिसाव, ईंट गिरने सहित कई प्रकार की दुर्घटनाएं हो चुकी हैं।
वहीं, प्राधिकरण से जांच की अपील करने के बाद टीम भी आई थी। इसके बाद बिल्डर को समय दिया गया, लेकिन बिल्डर ने काम पूरा नहीं किया। मामले में आईआईटी दिल्ली की टीम भी आने वाली थी, लेकिन बाद में एसीईओ नेहा शर्मा ने सीबीआरआई को पत्र लिखकर इसकी जांच करने को कहा।
रिपोर्ट के एक-एक बिंदुओं को खंगाली विजिलेंस की टीम
सुपरटेक ट्विन टावर के मामले में एसआईटी की 45 पन्ने की रिपोर्ट के आधार पर विजिलेंस में एफआईआर कराने के बाद जांच की प्रक्रिया शुरू हुई। विजिलेंस की ओर से रिपोर्ट के एक-एक बिंदुओं को खंगाला गया। विजिलेंस की टीम ने आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र तैयार की।
सूत्रों का कहना है कि अगर तत्कालीन सीईओ के ऊपर केस चलाने की नौबत आती है तो इसका नियमों के अंतर्गत स्पष्ट व्याख्या है। इसमें केस चलाए जाने में दिक्कत नहीं होगी। इसके अलावा आरोपियों के खिलाफ न्यायालय में वाद दायर करने के लिए अभियोजन स्वीकृति भी लेनी होगी। इसके बाद कोर्ट में केस चल सकता है।