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Monday, May 6, 2024

ईरान में आज होगा राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव, 59 हजार मतदान केंद्रों पर डाले जाएंगे वोट

शिया मुस्लिम बहुल देश ईरान में एक मार्च यानी आज संसदीय चुनाव हो रहे हैं। आज लोग देश के सर्वोच्च नेता यानी राष्ट्रपति को चुनने के लिए मतदान करेंगे। इसके लिए तैयारियां पूरी हो गई हैं। 2020 के संसदीय चुनावों के बाद देश काफी चुनौतियों का सामना कर रहा है। इस चुनाव को लोकतांत्रिक सुधार, पश्चिमी देशों के साथ तकरार और खराब अर्थव्यवस्था की कसौटी पर परखा जा रहा है। 

कैसे होते हैं चुनाव?
ईरान में हर चार साल में फ़्रांसीसी चुनाव प्रणाली की तर्ज पर चुनाव होते हैं। पहले दौर के मतदान में अगर किसी उम्मीदवार को 50 फीसदी से ज्यादा वोट नहीं मिले, तो दूसरे दौर में सबसे ज्यादा वोट पाने वाले दो उम्मीदवारों के लिए वोट डाले जाते हैं।

कौन मतदान कर सकता है और कब?
मतदाताओं की आयु कम से कम 18 वर्ष होनी चाहिए। करीब 8.5 करोड़ आबादी वाले देश में 6.12 करोड़ से अधिक लोग मतदान करने के पात्र हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, ईरान में स्थानीय समयानुसार सुबह आठ बजे से वोट डलने शुरू हो जाएंगे और 10 घंटे तक मतदान केंद्र खुला रहेगा। हालांकि, अगर पहले के चुनाव देखे जाए तो अक्सर मतदान करने का समय मांग के अनुसार बढ़ा दिया जाता है। 

मतदान केंद्र और सुरक्षा उपाय
देशभर में 59 हजार मतदान केंद्र होंगे। इसमें से तेहरान में पांच हजार और तेहरान के व्यापक प्रांत में 6,800 केंद्र बनाए गए हैं।1,700 मतदान केंद्रों पर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग उपकरणों का इस्तेमाल किया जाएगा। गृह मंत्रालय ने सेना के साथ इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) और उसके बासिज बलों को निगरानी के लिए तैनात किया है। बताया जा रहा है कि ढाई लाख सुरक्षाबल के जवानों को तैनात किया गया है। 

किसे चुना जाएगा?
ईरान में संसद की 290 सीटों के लिए 15,000 से ज्यादा उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। पहले इसे इस्लामिक कंसल्टेटिव असेंबली कहा जाता था। यहां सदस्यों का कार्यकाल चार साल का है और संसद में पांच सीटें धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित हैं। संसदीय चुनाव से अलग ईरान के लोग आज ही 88 सीटों वाली असेंबली ऑफ एक्सपर्ट्स के लिए भी वोट डालेंगे। आठ साल के कार्यकाल वाला यह पैनल अगले सुप्रीम लीडर को नियुक्त करेगा।

चुनाव में लोग वोट देंगे या नहीं
मतदाताओं की उदासीनता चिंता का विषय बनी हुई है क्योंकि देश विभिन्न चुनौतियों से जूझ रहा है। 2020 में पिछले संसदीय चुनावों में 42 प्रतिशत मतदान हुआ था, जो 1979 में इस्लामी गणराज्य की स्थापना के बाद से सबसे कम था। 2021 के राष्ट्रपति चुनावों में, केवल 48 प्रतिशत मतदाताओं ने अपना वोट डाला, जो हाल के वर्षों में घटती भागीदारी का संकेत है।

मतदान को प्रभावित करने वाले कारक
साल 2020 में कई कारण बने, जिससे लोगों ने वोट डालने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। इसमें अर्थव्यवस्था चलाने के तरीके, सालों से चले आ रहे प्रदर्शनों में उलझा देश, परमाणु कार्यक्रम को लेकर पश्चिमी देशों से तनाव और यूक्रेन पर हमले में रूस को समर्थन, कुद्स फोर्स के कमांडर कासिम सोलेमानी की अमेरिका में हत्या और कोविड-19 महामारी जैसे कारक शामिल हैं। इसके अलावा देश में बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी की समस्या भी एक बड़ा कारण है।  

विपक्ष की गतिशीलता
सुधारवादी मोर्चा, जो एक विपक्षी दल के सबसे करीबी चीज के रूप में कार्य कर रहा है, ने अर्थहीन और गैर-प्रतिस्पर्धी चुनाव में भाग नहीं लेने का फैसला लिया है। हालांकि, कुछ उम्मीदवार संसद में संभावित रूप से एक गैर-रूढ़िवादी अल्पसंख्यक बनाने के लिए सहयोग कर रहे हैं।

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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