राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शुक्रवार को उस खाट पर बैठी भावुक हो गईं, जिस पर वह 1970 के दशक में यहां यूनिट- II गवर्नमेंट गर्ल्स हाई स्कूल में अपने छात्र दिनों के दौरान सोती थीं। अपने ओडिशा दौरे के दूसरे दिन मुर्मू ने अपने अल्मा मेटर और कुंतला कुमारी सबत आदिवासी छात्रावास का दौरा किया, जहां वह अपने स्कूल के दिनों में रहती थी। उसने 13 सहपाठियों से भी मुलाकात की और अपने सहपाठियों, अपने स्कूल के छात्रों और शिक्षकों के बीच रहने पर खुशी व्यक्त की।
गुरुवार को दो किलोमीटर पैदल चलकर भगवान जगन्नाथ का दर्शन की थीं
इससे पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ का दर्शन करने के लिए करीब दो किलोमीटर पैदल दूरी तय कीं। इस दौरान लोगों ने उनका जोरदार अभिनंदन किया। राष्ट्रपति ने अपनी यात्रा का वीडियो ट्विटर हैंडल पर भी साझा किया है।
घुटने के बल बैठकर प्रार्थना की
ओडिशा के मयूरंभज जिले से ताल्लुक रखने वाली और आदिवासी समुदाय से आने वाली मुर्मू ने मंदिर के सिंहद्वार के सामने 34 फुट ऊंचे अरुण स्तंभ को भी छूआ। उन्होंने भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र की प्रतिमाओं के समक्ष घुटने के बल बैठकर प्रार्थना की।
पैदल मंदिर की ओर चलने लगीं
आज दिन में भुवनेश्वर पहुंचीं राष्ट्रपति ने बीच में ही अपने काफिले को रोककर गाड़ी से उतरीं और आम श्रद्धालु की तरह पैदल मंदिर की ओर चलने लगीं। वह भगवान जगन्नाथ के जयकारे लगाते हुए हाथ ऊपर करके चल रही थीं। उन्होंने रास्तों में खड़े लोगों का अभिवादन भी स्वीकार किया।
भारत सदियों पुराने अपने गौरव को बहाल करने की राह में: उपराष्ट्रपति धनखड़
इस बीच उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि अभूतपूर्व तरीके से भारत का उदय हो रहा है। वह सदियों पुराने अपने गौरव को बहाल करने की राह में है। धनखड़ ‘नए भारत के निर्माण के लिए बुनियादी ढांचे, सूचना और नवाचार’ विषय पर आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस सम्मेलन का आयोजन दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के शताब्दी समारोह के तहत किया जा रहा है।