उन्होंने कहा कि एक मुखी से लेकर 14 मुखी रुद्राक्ष होते हैं। भारतीय संस्कृति में रुद्राक्ष का बहुत महत्व है। रुद्राक्ष यानी रुद्र का अक्ष यानी आंसू कहा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई है। माना जाता है कि रुद्राक्ष इंसान को हर तरह की हानिकारक ऊर्जा से बचाता है। इसका इस्तेमाल सिर्फ तपस्वियों के लिए ही नहीं, बल्कि सांसारिक जीवन में रह रहे लोगों के लिए भी किया जाता है। रुद्राक्ष के ऐसे तो कई फायदे हैं, लेकिन रुद्राक्ष को लेकर यह भी धारणा है कि मंत्र जाप और ग्रहों को नियंत्रित करने के लिए रुद्राक्ष को सबसे उत्तम बताया गया है। बहुत ही कम लोगों को पता होगा कि रुद्राक्ष को धारण कर शनि दोष को दूर किया जा सकता है। रुद्राक्ष के कुछ खास उपाय से कुंडली में मौजूद शनि के अशुभ योग भी खत्म हो जाते हैं।
शिव महापुराण में किया गया था अभिमंत्रित
गत दिनों हुए भव्य रुद्राक्ष महोत्सव के दौरान इन रुद्राक्षों को विशेष मंत्रों के द्वारा अभिमंत्रित किया गया था। अब इनका वितरण पूर्ण विधि-विधान से किया जा रहा है। समिति ने सभी श्रद्धालुओं से शांति व्यवस्था बनाए रखते हुए रुद्राक्ष लेने की अपील की है। जिससे किसी को कठिनाई न हो।
विवादों में घिर गया था रुद्राक्ष वितरण
बता दें सीहोर में हुई शिव महापुराण के दौरान रुद्राक्ष बांटे जाने की योजना थी। पंडित प्रदीप मिश्रा ने आयोजन की शुरुआत भी कर दी थी। सुबह से ही हजारों लोगों का पंडाल पहुंचना शुरू हो गए। भीड़ इस कदर उमड़ी कि दोपहर होते-होते भोपाल-इंदौर स्टेट हाईवे के दोनों ओर 40 किमी तक जाम लग गया। हालात ऐसे बन गए कि पैदल चलने वालों तक का हाईवे से गुजरना मुश्किल हो रहा था। सीहोर-आष्टा और आसपास के सभी होटल, धर्मशाला फुल थे। दोपहर तक ही ढाई लाख भक्त यहां पहुंच चुके थे और श्रद्धालुओं का कारवां नहीं थम रहा था। अफरा-तफरी की स्थिति को देख पं. प्रदीप मिश्रा भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि ऊपर से बार-बार दबाव आ रहा है, इसलिए कथा स्थगित कर रहा हूं। मामले ने राजनीतिक रूप भी ले लिया था। कई दिनों तक मामला चर्चा में रहा था।