सरसंघचालक ने राजा ललितादित्य के इतिहास पर विस्तार से चर्चा की। वहीं, उन्होंने फिल्म कश्मीर फाइल्स का जिक्र करते हुए कहा कि धीरे-धीरे सच देश के सामने आ रहा है। इस पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। लेकिन, आम लोग कश्मीरी हिंदुओं के दर्द को समझ रहे हैं और उनके बीच में कश्मीरी हिंदुओं के लिए सहानुभूति है। उन्होंने कहा कि अब कश्मीर में ऐसे बसेंगे कि फिर कोई विस्थापित न कर सके। धैर्य के साथ अपना प्रयास जारी रखना है। संपूर्ण भारत का अभिन्न अंग बन कर कश्मीर में बसना और रहना है।
मोहन भागवत ने कहा कि संकट आते हैं। कई बार भयंकर संकट आते हैं। कभी-कभी लंबे समय तक रहते हैं। ऐसा न हो यह हम सबकी कामना है। यह बात ऐसी नहीं है जो वापिस नहीं हो सकती। एक न एक दिन हम इसको वापस कर देंगे। इस हिम्मत को छोड़ना नहीं है। इस हिम्मत को पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाना चाहिए। अपने लोगों को जगाना चाहिए। कट्टरपन नहीं होना चाहिए। सभी से मिलजुल कर रहना चाहिए।