दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शुक्रवार को कोरोना महामारी के दौरान नई तकनीकी के इस्तेमाल से उच्च शिक्षा में बेहतरीन योगदान देने वाले प्रोफेसरों को सम्मानित किया। ”न्यू कोड एजुकेशन अवार्ड 2021” से प्रोफेसरों को सम्मानित करते हुए उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि हमारी शिक्षा व्यवस्था में मूल्यांकन के तरीके में बदलाव की जरूरत है। तीन घंटे में बच्चों का आकलन व मूल्यांकन नहीं किया जा सकता है। इसके लिए उनके लगातार मूल्यांकन की जरूरत है। दिल्ली शिक्षा बोर्ड इसी आधार पर काम करेगा।
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा की भारत में अब विश्वविद्यालयों को देश की दशा और दिशा तय करने की जरूरत है। हमारे यहां शैक्षणिक संस्थानों में शोध में ज्यादा समय समय नहीं दिया जाता है। जबकि शोध के लिए समय के साथ ही धन की जरूरत होती है। इस बात को ध्यान में रखते हुए हमें अपने वर्तमान नजरिए को बदलने की जरूरत है। इसके लिए हमारे नेतृत्व को अपना नजिरए में बदलाव के साथ ही शोध के लिए संसाधन उपलब्ध कराने होंगे। उन्हें समय देना होगा। कोई भी नवाचार एक दिन में सामने नहीं आता है। साथ ही हमारे उच्च शिक्षा संस्थानों को भी इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी।
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने उच्च शिक्षा में नवाचार और अनुसंधान के संबंध में सुधार की सबसे ज्यादा आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि हमारे शैक्षणिक संस्थान कही ना कही सरकारों की गाइड लाइन से बंधे हुए हैं उसकी वजह से कई समस्या आती है। हमें उन्हें अपने कायदे बनाने के लिए मुक्त करना होगा तभी आउट ऑफ बॉक्स सोच आ पाएगी। जिस दिन हम खुल जाएंगे हम जबरदस्त काम करने लगेंगे।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि छात्रों को ये हमेशा ध्यान रखना चाहिए की संस्थान से जो भी मिले उसे सर पर रखकर नहीं ले कर चलना है। नहीं तो सारा ज्ञान बोझ बन जाएगा। उसे पैरों के नीचे रखिए और अपना कद बढ़ाइए। हर रोज नई तकनीक सीखिए, नई स्किल हासिल कीजिए। संस्थान से मिले अपने सारे ज्ञान और अनुभवों से आगे बढ़कर कुछ करने की हिम्मत करने वाले युवा आज नौकरी मांगने का नहीं, देने का काम कर रहें हैं।