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Thursday, May 2, 2024

ममता बनर्जी ने विपक्षी नेताओं को पत्र लिखा – लोकतंत्र और संवैधानिक संघवाद पर भाजपा और सरकार द्वारा हमलों का आरोप लगाया

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विपक्षी नेताओं को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने लोकतंत्र और संवैधानिक संघवाद पर भाजपा और सरकार द्वारा हमलों का आरोप लगाया है। टीएमसी सुप्रीमो ने कांग्रेस पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, एनसीपी चीफ शरद पवार, एमके स्टालिन, तेजस्वी यादव, शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे, आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाली के अलावा ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को चिट्ठी लिखी है। 

एनसीटी विधेयक का जिक्र करते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि उपराज्यपाल को दिल्ली का अघोषित वायसराय बना दिया गया, जो गृह मंत्री और प्रधानमंत्री के लिए एक प्रतिनिधि (प्रॉक्सी) के रूप में काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि एनसीटी विधेयक का पारित होना एक गंभीर विषय है। भाजपा सरकार ने लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार की सभी शक्तियों को छीन लिया है।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने पत्र में कहा है कि गैर-भाजपा दलों द्वारा शासित राज्यों में केन्द्र राज्यपाल के कार्यालय का दुरुपयोग कर निर्वाचित सरकारों के लिए समस्याएं पैदा कर रहा है।

ममता ने हमलावरों के खिलाफ कार्रवाई का वादा किया
ममता बनर्जी ने बुधवार को कहा कि उनके पास नंदीग्राम में मंगलवार को उनकी कार पर हमला करने वालों की तस्वीरें तथा वीडियो हैं और वह चुनाव के बाद इस मुद्दे को उठाएंगी। बनर्जी ने कहा कि वह कार्रवाई से इसलिए परहेज कर रही हैं, क्योंकि चुनाव जारी हैं और आदर्श आचार संहिता लागू है। 

बनर्जी नेएक रैली में कहा, ”मेरी कार पर हमला करने की उनकी हिम्मत कैसे हुई। मैं सिर्फ इसलिये चुप हूं क्योंकि चुनाव चल रहे हैं। वरना मैं उन्हें बताती कि उन्होंने कितनी बड़ी गलती की है।” मुख्यमंत्री ने कहा, ”मेरे पास कार पर हमला करने वाले गुंडों के वीडियो हैं। बंगाल में चुनाव होने दीजिये। उसके बाद मैं कार्रवाई करूंगी।” आक्रामक नजर आ रहीं बनर्जी ने हमलावरों से कहा, ”देखती हूं कि कौन ‘गद्दार’ तुम्हें बचाता है। बचकर कहां जाओगे तुम? दिल्ली, बिहार, राजस्थान या उत्तर प्रदेश। मैं तुम्हें खींचकर यहां (पश्चिम बंगाल) ले आऊंगी।”

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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