MP Ladli Lakshmi Yojana : मध्य प्रदेश में बेटियां आगे बढ़ रही हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने हर कार्यकाल में बेटियों के सशक्तिकरण के लिए कई अहम कदम उठाए हैं। प्रदेश सरकार ने 1 अप्रैल, 2007 को लाड़ली लक्ष्मी योजना लागू की। इसका उद्देश्य था कि बेटियों के जन्म के प्रति जनता में सकारात्मक सोच, लिंगानुपात में सुधार, लाड़लियों की शैक्षणिक और स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार लाने तथा उनके उज्जवल भविष्य की आधारशिला रखी जा सके। वक्त की जरूरत को देखते हुए सीएम चौहान ने हाल ही में लाड़ली लक्ष्मी योजना 2.0 ‘आत्मनिर्भर लाड़ली ’को शुरू किया है, जिसका उद्देश्य प्रदेश की हर बेटी को सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की प्राथमिकता के केंद्र में प्रदेश की बेटियों की शिक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ्य- सुविधा, स्वावलंबन, समृद्धि और सम्मान है। मुख्यमंत्री लाड़लियों के आर्थिक सशक्तिकरण से लेकर उन्हें व्यावसायिक प्रशिक्षण देने पर कार्य कर रहे हैं।
‘लाड़ली लक्ष्मी’ एमपी की सर्वश्रेष्ठ योजना
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा शुरू की गई लाड़ली लक्ष्मी योजना एक ऐसी योजना है, जिसने पूरे देश में अपनी छाप छोड़ी है। इस एक योजना ने सीएम शिवराज को बेटियों का मामा बना दिया और पूरे प्रदेश में सीएम शिवराज की लोकप्रियता बढ़ गई। आज प्रदेश में करीब 42.14 लाख लाड़लियां का भविष्य यह योजना संवार रही है, वहीं देश के 8 राज्यों ने भी मध्य प्रदेश की इस योजना को अपने राज्यों में लागू किया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के दूरदर्शी नेतृत्व में मध्य प्रदेश ने महिलाओं के सशक्तिकरण के क्षेत्र में नया इतिहास रचा है। इस योजना की वजह से बेटियों के प्रति समाज की सोच में जहां बदलाव आया है वहीं, बेटियों की उम्मीदों को नए पंख भी लगे हैं। महिलाओं और बेटियों को केन्द्र में रखकर बनाई गई योजनाओं का ही परिणाम है कि प्रदेश के लिंगानुपात के स्तर में भी तेजी से सुधार हो रहा है। आज प्रदेश में 1000 बेटों पर 956 बेटियां हो गईं हैं।
लाड़ली लक्ष्मी योजना के बेहतरीन परिणाम
इस योजना में अब तक छठवीं, नवमीं, ग्यारहवीं और बारहवीं में प्रवेश लेने वाली 9 लाख से अधिक बेटियों को 231 करोड़ रुपये से अधिक की छात्रवृत्ति का वितरण किया गया है। वहीं समाज की सोच में बदलाव आने के चलते बाल विवाह में भी तेजी से कमी आयी है। 2011 की जनगणना के समय प्रदेश में बेटियों का लिंगानुपात 919 था जो आज 956 हो गया है। एक तरफ जहाँ चम्बल, बुंदेलखंड और ग्वालियर में भी लिंगानुपात का स्तर सुधरा है वहीं प्रदेश में घरेलू हिंसा के मामलों में भी कमी देखी जा सकती है। इस योजना के माध्यम से स्कूलों में दाखिला लेने वाली बेटियों की संख्या में भी तेजी के साथ इजाफा हुआ है। यही, नहीं प्रदेश में बेटियों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाली बेटियों की संख्या भी बढ़ी है। यह प्रदेश में एक बड़ा बदलाव है जो मुख्यमंत्री शिवराज के रहते सम्भव हो पाया है।