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Friday, May 9, 2025

भारत की कूटनीतिक चाल: पाकिस्तान को आर्थिक और वैश्विक मंच पर घेरने की रणनीति

नई दिल्ली, 9 मई 2025, शुक्रवार। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ हर मोर्चे पर आक्रामक रुख अपनाया है। पहले सिंधु जल संधि के तहत पानी की आपूर्ति पर अंकुश लगाकर पाकिस्तान को जल संकट की ओर धकेला, और अब भारत ने आर्थिक दबाव बढ़ाने की ठोस रणनीति बनाई है। भारत का लक्ष्य है कि पाकिस्तान को न केवल बूंद-बूंद के लिए तरसाया जाए, बल्कि उसे कौड़ी-कौड़ी के लिए भी मोहताज किया जाए। इसके लिए भारत ने वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान को कठघरे में खड़ा करने की तैयारी कर ली है।

भारत ने फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) से पाकिस्तान को फिर से “ग्रे लिस्ट” में शामिल करने की मांग उठाई है। भारत का आरोप है कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहायता का दुरुपयोग आतंकवादी संगठनों को फंडिंग के लिए कर रहा है। भारतीय अधिकारियों ने वैश्विक समुदाय के सामने मॉस्को थिएटर बम विस्फोट और लंदन ब्रिज हमले जैसे आतंकी घटनाओं का हवाला दिया, जिनमें पाकिस्तानी आतंकियों की संलिप्तता सामने आई थी। FATF एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण पर निगरानी रखता है। किसी देश का ग्रे लिस्ट में होना उसकी आर्थिक विश्वसनीयता पर गहरा आघात करता है, क्योंकि इससे विदेशी निवेश, ऋण, और आर्थिक सहायता प्राप्त करने में भारी मुश्किलें आती हैं।

पाकिस्तान पहले भी 2018 से 2022 तक FATF की ग्रे लिस्ट में रह चुका है, जब उसे कड़ी शर्तों के तहत सुधार करने पड़े थे। अक्टूबर 2022 में FATF ने उसे ग्रे लिस्ट से बाहर किया था, यह मानते हुए कि उसने अधिकांश शर्तें पूरी कर ली हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि FATF की आगामी बैठक में भारत की मांग पर गंभीर चर्चा हो सकती है। अगर पाकिस्तान फिर से ग्रे लिस्ट में आता है, तो उसकी पहले से ही कमजोर अर्थव्यवस्था को और बड़ा झटका लगेगा। विदेशी निवेशक सतर्क हो जाएंगे और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से ऋण प्राप्त करना और भी कठिन हो जाएगा।

IMF पर भारत का दबाव

भारत ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के सामने भी पाकिस्तान को आर्थिक राहत देने का विरोध करने का मन बना लिया है। विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने संकेत दिया है कि IMF की आगामी बोर्ड बैठक में भारत का कार्यकारी निदेशक इस मुद्दे पर देश का पक्ष रखेगा। भारत का कहना है कि पाकिस्तान ने लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। ये संगठन न केवल पाकिस्तान में सक्रिय हैं, बल्कि वहां से संचालित होकर जम्मू-कश्मीर और अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों में आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं।

भारत की रणनीति: सुरक्षा के साथ कूटनीति

राजनयिक विश्लेषकों का मानना है कि भारत की यह रणनीति केवल सुरक्षा चिंताओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पाकिस्तान पर वैश्विक दबाव बढ़ाने का एक सुनियोजित कदम है। भारत लगातार कूटनीतिक मंचों पर पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर जवाबदेह ठहराने की कोशिश कर रहा है। यह कदम न केवल पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को कमजोर करेगा, बल्कि उसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय में अलग-थलग करने में भी मदद करेगा।

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले ही भारी संकट से जूझ रही है। ऐसे में भारत की यह रणनीति उसे और गहरे दलदल में धकेल सकती है। यह साफ है कि भारत अब हर मोर्चे पर पाकिस्तान को सबक सिखाने के मूड में है, और इसका असर जल्द ही वैश्विक मंचों पर दिखाई दे सकता है।

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