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Friday, May 9, 2025

65-71 की गूंज: वाराणसी के दरोगा सच्चिदानंद सिंह का शौर्य गीत जो दुश्मन को बांग्लादेश की याद दिलाएगा

वाराणसी, 9 मई 2025, शुक्रवार। भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिए एक बार फिर साबित कर दिया कि देश की आन-बान और शान की रक्षा के लिए वह किसी भी हद तक जा सकती है। पहलगाम हमले के जवाब में शुरू किए गए इस ऑपरेशन ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से लेकर पंजाब के बहावलपुर तक नौ आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया। बैसरन घाटी में सुहागनों की मांग से मिटाए गए सिंदूर का बदला लेते हुए सेना ने आतंकियों के मंसूबों को धूल में मिला दिया। इस कार्रवाई ने न केवल देश के जख्मों पर मरहम लगाया, बल्कि पूरे भारत में एकजुटता और देशभक्ति की लहर दौड़ा दी। सड़कों से लेकर सोशल मीडिया तक, हर तरफ सेना की जांबाजी की तारीफ हो रही है।

इस जश्न के बीच वाराणसी के दरोगा सच्चिदानंद सिंह ने अपने अनूठे अंदाज से सबका दिल जीत लिया। पुलिस लाइन में खाकी वर्दी में गाया उनका गीत, “सन 65, 71 की तुम्हें फिर से याद दिला देंगे, अब भी न सुधरोगे तो फिर एक बांग्लादेश बना देंगे…” सोशल मीडिया पर धूम मचा रहा है। यह गीत न केवल जवानों का हौसला बढ़ा रहा है, बल्कि देशवासियों में जोश भर रहा है। सच्चिदानंद का यह गीत उनकी देशभक्ति और कला का संगम है, जो हर सुनने वाले को मंत्रमुग्ध कर देता है।

भभुआ के एक किसान क्षत्रिय परिवार में जन्मे सच्चिदानंद सिंह के पिता रामबचन सिंह आज भी खेती करते हैं। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी और काशी हिंदू विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने वाले सच्चिदानंद को गीत-गजल लिखने का शौक बचपन से था। पुलिस सेवा में आने के बाद भी उनका यह जुनून कम नहीं हुआ। उनकी पत्नी गरिमा सिंह भी उनकी कला में बराबर की भागीदार हैं। गरिमा के प्रेम और सुर-ताल की जुगलबंदी से उनके गीतों में और भी रंग भर जाता है। सच्चिदानंद का यह गीत आज देशभक्ति की नई मिसाल बन चुका है, जो हर भारतीय के दिल में जोश और गर्व का संचार कर रहा है।

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