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Sunday, April 28, 2024

दलितों में भाजपा की सेंधमारी बढ़ाएगी बसपा की मुश्किलें*

*मुफ्त आवास, राशन, गैस कनेक्शन, पांच लाख तक निशुल्क इलाज जैसी कल्याणकारी योजनाओं से दलितों का कमल की तरफ तेजी से बढ़ा रुझान*

 

*भाजपा सरकार ने दलितों को राजनीतिक,आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त किया- लाल जी निर्मल*

 

लखनऊ, 18 जनवरी। दलितों में भाजपा की बढ़ रही लोकप्रियता ने सुस्त रफ्तार से चल रही बसपा की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। इसके पीछे भाजपा की केन्द्र व प्रदेश सरकार की कल्याणकारी योजनाएं तथा सरकार और संगठन में दलितों को मिली भागीदारी मानी जा रही है । योजनाओं के सर्वाधिक लाभार्थी पिछड़े, दलित और वंचित समाज से आते हैं । लिहाजा भाजपा भी इसी आधार पर दलित वोटबैंक में सेंधमारी को मजबूत मान कर चल रही है । साथ ही प्रयागराज संगम में सफाईकर्मियों के पांव पखार कर और काशी में श्रमिकों पर पुष्प वर्षा और उनके साथ भोजन कर पीएम मोदी ने सामाजिक समरसता और सम्मान का बड़ा संदेश दिया था। सम्मान और लाभार्थी जैसे फैक्टर बसपा की पेशानी पर चिंता की लकीरें भी खींचते है। एम’-वाई’ समीकरण के साथ दलित की दूरी से सपा की चिंता जगजाहिर है ।मायावती और भीम आर्मी के चीफ, सपा मुखिया पर लगातार तीखें बाण छोड़ रहे हैं ।दलित चिंतक लालजी निर्मल भी मानते हैं दलितों के लिए भाजपा सरकार ने बहुत कुछ किया है। सरकार और संगठन में हर जगह भागीदारी दी। पीएम मोदी के नेतृत्व में बाबा साहब से जुड़े पंच तीर्थ स्थलों पर भव्य स्मारक बनाया गया। भाजपा ने दलितों को राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाया।

 

यहीं वजहें हैं कि चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी मायावती के समक्ष इस बार अपने वोटबैंक को पूरी तरह समेटे रखना बड़ी चुनौती है। इस चुनौती की एक बड़ी वजह उनका चुनावी परिदृश्य से लगातार गायब रहना भी है। यह पहला मौका है जब बसपा सुप्रीमो की एक भी चुनावी रैली नहीं हुई । अलबत्ता सतीश चंद्र मिश्रा आदि के जरिये उन्होंने चुनावी सक्रियता में बने रहने की कोशिश जरूर की । लेकिन अपने मतदाता में संदेश नहीं दे पाये ।

 

बसपा मतदाताओं की पूरी राजनीति वन मैंन आर्मी होने से मायावती पर निर्भर रहती है।जबकि बसपा सुप्रीमो की पूरी सियासी सक्रियता अभी ट्विटर और कभी कभार प्रेसवार्ता तक ही सीमित है। ‘हाथी’ के सभी पुराने दिग्गज एक एक कर साथ छोड़ कर चुके हैं या बाहर किये जा चुकें हैं । लिहाजा प्रचार प्रसार का पूरा दारोमदार पर मायावती पर है, इसमें वह भाजपा, सपा और कांग्रेस से भी पिछड़ चुकी हैं। इस वजह उनके वोटर भी ऊहापोह में उलझे हुए हैं। जबकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नामांकन की प्रक्रिया भी अंतिम दौर में है। बसपा के स्तर इस गैप को भरने के लिए भाजपा कल्याण योजनाओं को बड़े शस्त्र के रूप में इस्तेमाल करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह सहित पार्टी के अन्य दिग्गज नेता जब कल्याणकारी योजनाओं के जरिये दलित और पिछड़े तबके के विकास को दमदारी से उठाते हैं तो समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को भाजपा अन्य दलों की अपेक्षा अधिक हितैषी नजर आती है। 45 लाख गरीबों को निशुल्क आवास, दो करोड़ से अधिक शौचालय, निशुल्क गैस कनेक्शन, पांच लाख रुपये तक आयुष्मान भारत योजना के तहत निशुल्क इलाज, निशुल्क बिजली कनेक्शन और सरकार की तरफ से दिये जा रहे डबल राशन जैसी लोकप्रिय योजनाओं के जरिये भाजपा ने यह संदेश दिया है कि हमारी कथनी और करनी में कोई भेद नहीं है । साथ ही इसके जरिये यह भी संदेश देने का प्रयास किया है कि अन्य दलों ने तो केवल दलितों को वोट बैंक समझा और अपने परिवार और जाति का विकास किया जब भाजपा पं. दीनदयाल उपाध्याय के विचारों को आत्मसात करते हुए समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के विकास की चिंता करती है।

कानून व्यवस्था के मुद्दे पर भी भाजपा सरकार की उपलब्धियों के जरिये यह संदेश दे रही है कि योगी आदित्यनाथ के पांच साल के शासन में दलितों का उत्पीड़न नहीं अपितु उन्हें सम्मान मिला। इसे पीएम मोदी ने प्रयागराज में स्वच्छता कर्मियों का पांव धोकर और काशी विश्वनाथधाम को तैयार करने में अपना पसीना बहाने वाले श्रमिकों पर पुष्प वर्षा और साथ में भोजन कर चरितार्थ किया है ।

*दलित चिंतक लालजी निर्मल* भी मानते हैं दलितों के लिए भाजपा और पीएम मोदी ने बहुत कुछ किया है। बाबा साहब डा. भीमराव अंबेडकर से जुड़े पंच तीर्थों – महू छावनी (जन्म स्थान, मध्य प्रदेश), शिक्षा क्षेत्र 10 किंग्स हेनरी रोड लंदन, दीक्षा भूमि नागपुर, इंतकाल स्थल 26 अलीरोड , नई दिल्ली और अंतिम संस्कार स्थल (चैत्य भूमि) मुंबई में भव्य स्मारक स्थल पीएम मोदी के नेतृत्व में बनवाया गया। भाजपा ने सरकार और संगठन में हर जगह भागीदारी दी । राष्ट्रपति से लेकर राज्यपाल भी अनुसूचित जाति से हैं। यूपी से ही भाजपा ने कांता कर्दम, दुष्यंत गौतम, बृजलाल और राम सकल को राज्यसभा में भेजा है। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के साथ ही प्रदेश संगठनों में अनुसूचित समाज का प्रतिनिधित्व है। उप्र के मुख्यमंत्री की शपथ लेते ही योगी आदित्यनाथ ने यह घोषणा कर दी थी कि सरकारी जमीनों पर मकान बना कर रह रहे दलित हटाये नहीं जाएंगे, उन्हें नियमित किया जाएगा। सीएम योगी ने यह भी साफ कर दिया था कि दलित उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पहली बार दलित उत्पीड़न पर रासुका तक की कार्वाही हुई । शासन की कल्याणकारी योजनाओं का 80 फीसद से अधिक लाभ आज दलित और वंचित समाज के लोगों को मिल रहा है।

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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