बिहार के शिक्षा मंत्री पर मुजफ्फरपुर और बेगूसराय न्यायालय में उनके विवादित बयान की वजह से केस हो गया है। इस वजह से उनकी मुश्किलें अब और अधिक बढने वाली हैं। इस मामले को लेकर मुजफ्फरपुर के अधिवक्ता सुधीर ओझा का कहना है कि शिक्षामंत्री चंद्रशेखर को आरोपी बनाते हुए उनके खिलाफ परिवाद दायर कराया है। उक्त परिवाद IPC की धारा 504, 505, 506 और 153, 295, 296 के अंतर्गत दर्ज किया गया है। वहीं बेगूसराय सांसद प्रतिनिधि सह अधिवक्ता अमरेंद्र कुमार अमर का कहना है कि बेगूसराय में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय में शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के विरुद्ध धारा 295 ए एवं 153ए के तहत मामला दर्ज करवाया गया है।
कब क्या बोले शिक्षामंत्री दरअसल गुरूवार को नालंदा खुला विश्वविद्यालय में आयोजित दीक्षांश समारोह में शिक्षामंत्री चंद्रशेखर ने बच्चों को बैकवर्ड और फॉरवर्ड का जमकर पाठ पढाया था जिस वजह से उनकी काफी आलोचना हुई थी। उन्होंने कहा था कि आपको मालूम है कि मनुस्मृति को ज्ञान के प्रतीक बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने क्यों जलाया? गूगल पर आप देखेंगे तो पाएंगे कि मनुस्मृति में वंचितों और वंचितों के साथ-साथ नारियों को शिक्षा से अलग रखने की बात कही गई है। शिक्षा का अधिकार, संपत्ति का अधिकार न नारियों को था, न वंचितों को और न शूद्रों को था। उसके बाद पंद्रहवीं-सोलहवीं सदी में रामचरितमानस लिखी गई जिसमें तुलसीदास जी ने लिखा है कि पूजिये न पूजिये विप्र शील गुण हीना, शुद्र ना गुण गन ज्ञान प्रवीना…अगर ये विचारधार चलेगा तो भारत को ताकतवर बनाने का सपना कभी पूरा नहीं होगा। दीक्षांत समारोह में बैकवर्ड-फॉरवर्ड करने के बाद शिक्षा मंत्री जब बाहर निकले तो मीडिया से भी ऐसी ही बातें कीं थी । उन्होंने कहा था कि नीच जाति के लोग शिक्षा ग्रहण करके जहरीले हो जाते हैं, जैसा कि सांप धूप पीने के बाद होता है। मैं इसलिए यह बात करता हूं कि इसी चीज को कोट करके बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने दुनिया के लोगों को बताया कि ये जो ग्रंथ हैं, नफरत को बोने वाले.एक युग में मनुस्मृति, दूसरे युग में रामचरितमानस और तीसरे युग में गुरु गोलवलकर का बंच ऑफ थॉट। ये दुनिया को, हमारे देश को, समाज को नफरत में बांटती है।
बेगूसराय में भी हुआ केस बेगूसराय सांसद प्रतिनिधि सह अधिवक्ता अमरेंद्र कुमार अमर का कहना है कि बेगूसराय में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय में शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के विरुद्ध धारा 295 ए एवं 153ए के तहत मामला दर्ज करवाया गया है । उनका कहना है कि रामायण लाखों-करोड़ों हिंदुओं के दिलों में बसने वाला ग्रंथ है। शिक्षामंत्री चंद्रशेखर ने रामचरित मानस को नफरत फैलाने वाला ग्रंथ बताने के साथ साथ आपत्तिजनक टिप्पणी भी की गई थी जो अनुचित है। उनके इसी विवादित बयान की वजह से बेगूसराय कोर्ट में उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। 16 जनवरी को इसकी सुनवाई की जाएगी।
धार्मिक उन्माद फैलने का है डरअधिवक्ता सुधीर ओझा ने बताया कि शिक्षामंत्री ने धार्मिक ग्रंथ को लेकर बहुत ही आपत्तिजनक टिप्पणी किया है। साथ ही उन्होंने कुछ जातिसूचक शब्दों का भी इस्तेमाल किया। उनके इस बयान से धार्मिक उन्माद फैल सकता है। अधिवक्ता ने कहा कि इस देश के करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के साथ धार्मिक उन्माद फैलाने के लिए ये विवादित बयान एक सोची समझी राजनीति साजिश के कारण दिया गया है। इससे देश का माहौल खराब हो सकता है। फिलहाल मुजफ्फरपुर कोर्ट में दर्ज केस की अगली सुनवाई 25 जनवरी को होगी।