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Monday, May 6, 2024

कोरोना टीकाकरण के लिए लोगों को जागरूक करने का ढूंढा अनोखा तरीका, ट्रकों के पीछे लिख डाली रोचक शायरी

अक्सर सड़कों पर दौड़ते ट्रक, टेपों या ऑटो इत्यादि अपने पीछे चलने वालों के दिमाग में कई तरह के संदेश छोड़ जाया करते हैं। दरअसल, बात इन वाहनों के पीछे अंकित और आमजन से निकली शायरी की हो रही है। जी हां, आमतौर पर लोग ऐसे शे’र वाले संदेशों को वाहन-मालिक और उनके चालकों के आत्मसंतोष के रूप में ही देखा करते हैं। ऐसे में सवाल है कि कितनों ने महसूस किया कि ये शे’र कई बार हमारी उदास यात्रा को भी हसीन बना देते हैं। आज दुनिया जब एक महामारी का दंश झेल रही है, देश में यह वाहन-शायरी हमें एक बड़ी सीख देती हुई भी नजर आ रही हैं।

यूं तो पिछले साल से दो बार की कोरोना लहर से बचाव के लिए तरह-तरह के उपाय किए जा रहे हैं। सरकार और कई गैर सरकारी संस्थाएं भी इन दिनों लोगों को कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीन लगवाने के लिए प्रेरित कर रही हैं। ऐसे में ये वाहन चालक सहज ही इस अभियान में अपना योगदान दे रहे हैं। अब शायरी वाले अंदाज में यही नारा देखिए…

“देखो मगर प्यार से….कोरोना डरता है वैक्सीन की मार से”

सड़कों पर दौड़ते वाहन जैसे नवयौवना हों और लोगों की खराब नजरों से बचने की कोशिश कर रहे हों। इस तरह के शे’र बहुत पुराने हो चले। अब तो ये वाहन खुद के टोने-टोटकों से बचाव के लिए अपने प्रेमियों से शर्त लगाने लगे हैं-“मैं खूबसूरत हूं मुझे नजर न लगानाजिंदगी भर साथ दूंगी, वैक्सीन जरूर लगवाना” “हंस मतत पगली, प्यार हो जाएगा,टीका लगवा ले, कोरोना हार जाएगा”

आम जन, खासकर परिवहन की दुनिया से इस तरह के शे’र साहित्य के भी अंग बनने लगे हैं। कई पत्र-पत्रिकाओं ने इसे केंद्र में रखते हुए फीचर लिखे हैं, तो कहानीकारों-कवियों ने इनसे प्रेरणा ली है। कोरोना वाले संकट के दिनों में तो ये शे’र लोगों को जिंदगी के प्रति सचेत कर रहे हैं-

“टीका लगवाओगे तो बार-बार मिलेंगे, करोगे तो हरिद्वार मिलेंगे”

हरिद्वार में मिलने का यहां जो आशय ग्रहण किया गया है, वह निश्चित ही गंगा स्नान का नहीं है। इस पवित्र नगरी को अंतिम यात्रा में मोक्ष का स्थान भी बताया गया है। मृत्यु तो जीवन-सत्य है, फिर भी अनायास ही इस रूप में वहां मुलाकात न हो, हर कोई चाहेगा। कोरोना के प्रति लापरवाही किसी इंसान के लिए तो संतोष का कारण नहीं हो सकता, सड़कों पर दौड़ते वाहन भी यही बताते हैं-

“टीका नहीं लगवाने से यमराज बहुत खुश होता है।

“सड़कों पर चलते हुए आप इस तरह के शे’र से भी रू-ब-रू हो सकते हैं-

“चलती है गाड़ी, उड़ती है धूल,वैक्सीन लगवा लो वरना होगी बड़ी भूल”

दरअसल, ‘सावधानी हटी, दुर्घटना घटी’ जैसा ध्रुव सत्य अब लोगों के जीवन का अंग है। फिर भी किसी कालखंड के प्रति अपेक्षित सावधानी का अभाव देखा गया है। कोरोना के दौर में भी पिछले दिनों यही हुआ।

ट्रक वाले सावधानी के मामले में नया संदेश दे रहे हैं- “कोरोना से सावधानी हटी,तो समझो सब्जी-पूड़ी बंटी” सब्जी-पूड़ी खाना और उसके बंटने के फर्क को समझने के लिए बहुत अधिक माथापच्ची नहीं करनी पड़ती। शांति-हवन के बाद लड्डू बंटने की तरह बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मृत्यु-भोज को समझने वाले इस शे’र का मर्म जानते हैं। अंत में इसे पढ़ें- “मालिक तो महान है, चमचों से परेशान है।कोरोना से बचने का, टीका ही समाधान है।”पिछले दिनों लॉकडाउन के चलते हो सकता है कि आप सहज-सुलभ इस ‘सड़क- साहित्य’ को नहीं पढ़ पाए हों। हम इसे आप तक इस भाव के साथ पहुंचा रहे हैं कि ‘सड़क- साहित्य’ हर बार ‘सड़क छाप’ ही नहीं होता। ये आप पर निर्भर है कि इस नये साहित्य लेखन को आप किस रूप में ग्रहण करते हैं।

anita
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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