बैंक जमा पर मिले ब्याज, वेतन और किराया आदि पर अगर टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) कटता है तो इसे वापस लेने या रिफंड कराने के लिए आयकर रिटर्न (आईटीआर) भरना पड़ता है। आयकर नियमों के तहत अगर रिटर्न दाखिल करने की निर्धारित तारीख समाप्त हो गई है तो आयकरदाता टीडीएस रिफंड का दावा भी नहीं कर सकते हैं। हालांकि, इसके कुछ अपवाद भी हैं। इसके तहत अगर आप किसी वजह से आईटीआर दाखिल करने से चूक गए हैं तो भी टीडीएस रिफंड का दावा कर सकते हैं। दरअसल, आयकर कानून के तहत टीडीएस रिफंड, छूट, कटौती या किसी अन्य राहत का दावा करने के लिए
धारा-119(2)(बी) के तहत एक स्मॉल विंडो मिलती है। इसमें आयकर अधिकारियों को आईटीआर दाखिल करने की समय-सीमा समाप्त होने के बाद भी ऐसे किसी दावे की अनुमति देने का अधिकार दिया गया है। हालांकि, इस तरह के दावे बहुत ही कम संख्या में स्वीकार किए जाते हैं। इसकी अनुमति तभी मिलती है, जब आयकरदाता को वास्तव में कोई दिक्क्त हो और वह आयकर रिटर्न दाखिल करने से चूक गया हो।
अगर किसी भी व्यक्ति, कंपनी, ट्रस्ट या हिंदू अविभाजित परिवार को पैन जारी हुआ है और वह सभी शर्तों को पूरा करता हो तो टीडीएस रिफंड का दावा कर सकता है। क्लेम के लिए करदाता को छह साल तक का समय मिलता है। इसके तहत वह आकलन वर्ष से छह साल तक की अवधि में क्लेम दाखिल कर सकता है।