महीनेभर से यूक्रेन और रूस की गोलाबारी की वजह से यूरोप विकराल परमाणु हादसे की दहलीज पर है। जपोरिझिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र से कब्जा छोड़ने को रूस तैयार नहीं है तो यूक्रेन किसी भी कीमत पर इसे वापस हासिल करना चाहता है। हर दिन गोलाबारी से अनिष्ट की आशंका बढ़ती जा रही है। शनिवार को परमाणु संयंत्र के आसपास जबरदस्त गोलाबारी हुई। यूक्रेन और रूस ने इसके लिए एक-दूसरे पर आरोप मढ़ा। वहीं, संयंत्र की स्थिति जांचने के लिए संयुक्त राष्ट्र की अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के निरीक्षक दल को अब तक जाने की अनुमति नहीं मिल पाई है।
यूक्रेन ने आरोप लगाया कि रूस ने संयंत्र के पास नीपर नदी के पार शहर पर मिसाइलों और तोप से हमले किए। रूस ने दावा किया कि यूक्रेन ने बेहद लापरवाही से परमाणु ईंधन के भंडर पर गोले दागे। प्लांट की संचालक कंपनी एनर्गोटम के मुताबिक, कूलिंग प्रणाली बंद होने से रिएक्टर गर्म होने से हादसा हो सकता है।
दक्षिण में लंबे समय से रूसी कब्जे में मौजूद खेरसान को हासिल करने के लिए यूक्रेन ने जबरदस्त हमला किया। यूक्रेन ने रणनीति के तहत उन चार पुलों को तबाह कर दिया है, जो रूसी सैनिकों को रसद पहुंचाने के लिए जरूरी थे। यूक्रेनी सेना का दावा है कि उसने शनिवार और रविवार को दक्षिण में अलग-अलग हमलों में 35 रूसी सैनिकों को मार गिराया है। इसके अलावा एक तोप, नौ बख्तरबंद वाहन व दो आयुध भंडार तबाह किए हैं।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के रूसी सेना को 19 लाख से बढ़ाकर 24 लाख करने के आदेश पर ब्रिटिश रक्षा मंत्रालय ने खुफिया जानकारी के आधार पर दावा किया कि रूस के पास सेना बढ़ाने की क्षमता नहीं है। ब्रिटिश रक्षा मंत्रालय ने कहा कि रूस अपने लोगों को जबरन सेना में भर्ती करने के अलावा और किसी तरीके से सेना नहीं बढ़ा सकता। ब्रिटिश दावे के मुताबिक, रूस युद्ध में दस हजार से ज्यादा सैनिक गंवा चुका है। नए सैनिकों की भर्ती कई वर्षों में बहुत धीमी हुई है।