करीब 100 साल से भी पुराने मलेरिया रोग से बहुत जल्द छुटकारा मिल सकता है। 2015 से 2022 के बीच मलेरिया के मामलों और मौत में क्रमशः 85.1 फीसदी और 83.6 फीसदी की गिरावट आई है। इतना ही नहीं, सालाना 50 से भी कम मरीजों वाले जिलों की संख्या बढ़कर 322 तक पहुंच गई है, जिनमें 117 जिले पूरी तरह से मलेरिया मुक्त हो गए हैं। इन जिलों में 2019 से अब तक मलेरिया का एक भी केस नहीं मिला है।
विश्व मलेरिया दिवस पर तैयार केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि भारत ने हाल के वर्षों में मलेरिया उन्मूलन की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है जिसकी वैश्विक स्तर पर काफी सराहना की जा रही है। भारत ने 2027 तक मलेरिया से मुक्ति पाने का लक्ष्य रखा है। रिपोर्ट के अनुसार, अगले चार साल में यानी 2027 तक भारत के 400 से भी ज्यादा जिले मलेरिया मुक्त होंगे। वैज्ञानिकों ने कहा है कि मलेरिया से मुक्ति पाने के लिए टीकाकरण की आवश्यकता है।
विश्व मलेरिया रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में मलेरिया से अनुमानित 24 करोड़ मामले सामने आए और 6,27,000 मौतें हुईं। दुनिया में 95 फीसदी मलेरिया मरीज अभी भी अफ्रीकी देशों में मिलने का अनुमान है।
- भारत इस बीमारी से प्रभावित वह अकेला देश है जहां 2018 के मुकाबले 2019 में इस बीमारी के मामलों में 17.6 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।
रिपोर्ट के अनुसार, देश के 686 जिलों में मलेरिया के मामलों में लगातार कमी बनी हुई है। इनमें से 117 जिलों में मलेरिया का एक भी केस सामने नहीं आया है। बाकी 569 में से 205 जिलों में 2017 से 2021 के बीच सालाना 50 से भी कम मामले दर्ज किए गए हैं। ये जिले जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, नगालैंड, तमिलनाडु, बिहार और उत्तर प्रदेश के हैं।
डब्ल्यूएचओ ने इस बार विश्व मलेरिया दिवस पर थीम रखा है कि मलेरिया को रोकने, पता लगाने और इलाज के लिए नई नीतियों पर देशों को काम करना चाहिए। मलेरिया को लेकर भारत ने पिछले कुछ सालों में काफी अच्छा प्रदर्शन किया है।