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Saturday, April 27, 2024

सीएम योगी के खिलाफ मुकदमा चलेगा या नहीं, सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा फैसला

नफरत वाले भाषण के मामले में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर मुकदमा चलेगा या नहीं, सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुनाएगा। 2007 के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फरवरी 2018 में फैसला सुनाते हुए योगी आदित्यनाथ के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं दी थी। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।

सीजेआई एनवी रमण, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ के समक्ष याचिकाकर्ता के वकील फुजैल अहमद अय्यूबी ने हाईकोर्ट के समक्ष रखे गए मुद्दों में से एक का उल्लेख किया। इसमें लिखा गया था कि क्या सरकार धारा 196 के तहत आपराधिक मामले में ऐसे व्यक्ति के लिए आदेश पारित कर सकती है जो उसी बीच राज्य का मुख्यमंत्री चुना जाता है और अनुच्छेद 163 के तहत कार्यकारी प्रमुख है। वकील ने कहा, हाईकोर्ट ने इस मुद्दे पर विचार नहीं किया।

 

इस पर पीठ ने पूछा, एक और मुद्दा है। एक बार जब आप निर्णय के अनुसार योग्यता पर चले जाते हैं और सामग्री के अनुसार, यदि कोई मामला नहीं बनता है, तो मंजूरी का सवाल कहां है। अगर कोई मामला है, तो मंजूरी का सवाल आएगा। अगर कोई मामला ही नहीं है, तो मंजूरी का सवाल कहां है। अय्यूबी ने कहा, मुकदमा चलाने की मंजूरी से इनकार करने के कारण ही क्लोजर रपोर्ट दाखिल की गई है।

वहीं यूपी सरकार की ओर से वकील मुकुल रोहतगी ने कहा, इस मामले में कुछ बचा ही नहीं। उन्होंने कहा, सीएफएसएल के पास सीडी भेजी गई थी और पाया गया कि उसके साथ छेड़छाड़ हुआ था। साथ ही याचिकाकर्ता ने जो मुद्दा उठाया है हाईकोर्ट ने उस पर ध्यान दिया है।

2007 में गोरखपुर में हुआ था दंगा

याचिकाकर्ता परवेज परवाज का कहना था कि तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ के भाषण के बाद 2007 में गोरखपुर में दंगा हुआ था। इसमें कई लोगों की जान चली गई थी। साल 2008 में दर्ज एफआईआर की राज्य सीआईडी ने कई साल तक जांच की। उसने 2015 में राज्य सरकार से मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी। याचिका में कहा गया है कि मई 2017 में राज्य सरकार ने अनुमति देने से इनकार कर दिया। जब राज्य सरकार ने मुकदमा चलाने की अनुमति देने से इनकार किया, तब तक योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बन चुके थे। ऐसे में अधिकारियों की तरफ से लिया गया यह फैसला दबाव में लिया गया हो सकता है।

 

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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