नई दिल्ली। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ जाते-जाते पत्रकारों को बड़ा तोहफा दे गए। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट की खबरों को कवर करने वाले पत्रकारों को छूट दी है। छूट यह कि अब सुप्रीम कोर्ट की खबरों को कवर करने वाले पत्रकारों को एलएलबी की डिग्री की जरूरत नहीं होगी। बता दें, पहले के नियमों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के संवाददाता बनने के इच्छुक पत्रकारों को सामान्य परिस्थितियों में कानून की डिग्री की आवश्यकता होती थी, कुछ अपवादों को छोड़कर जिन्हें चीफ जस्टिस द्वारा अपने विवेक के अनुसार मंजूरी दी जाती थी। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट के संवाददाता के रूप में मान्यता के लिए पूर्व शर्त के रूप में कानून की डिग्री की आवश्यकता को समाप्त कर दिया गया है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने ये फैसला लिया है।
न्याय की देवी के आंखों से हटाई गई थी पट्टी
देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट में जजों की लाइब्रेरी में न्याय की देवी की नई प्रतिमा लगाई गई है, जिसकी आंखें खुली हैं। नई प्रतिमा के दायें हाथ में तराजू है और बाएं हाथ में संविधान का प्रति। ताकि यह संदेश दिया जा सके कि देश में कानून अंधा नहीं है और न ही यह दंड का प्रतीक है। बता दें, कि CJI चंद्रचूड़ ने 9 नवंबर 2022 को अपना पदभार संभाला था। 10 नवंबर वे अपने पद से रिटायर हो जाएंगे। वहीं रिटायर होने के बाद उन्होंने कुछ समय तक के लिए आराम करने की इच्छा जाहिर की है।
आईपीसी के स्थान पर बीएनएस
हाल ही में सीजेआई के नेतृत्व में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की शुरुआत की गई। सीजेआई चंद्रचूड़ ब्रिटिश युग के प्रतीकों और कानूनों से अलग होने की आवश्यकता के बारे में मुखर रहे हैं। ये शुरुआत करते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि न्यायपालिका की भूमिका दंडात्मक नहीं बल्कि संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करने वाली है।