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Thursday, May 2, 2024

उत्तर प्रदेश सरकार: गेहूं खरीदने के लिए अब गांव-गांव जाएगी

उत्तर प्रदेश में अब गेहूं बेचने के लिए किसानों को क्रय केंद्र तक जाने की जरूरत नहीं होगी। खाद्य एवं रसद विभाग यह व्यवस्था कर रहा है कि मोबाइल क्रय केंद्रों के माध्यम से गांव-गांव जाकर गेहूं खरीदा जाए।

वर्तमान में प्रदेश भर में सरकारी क्रय केंद्रों पर गेहूं की खरीद की जा रही है। इसके लिए लगभग साढ़े पांच हजार क्रय केंद्र स्थापित किए गए हैं। वहां किसानों को किसी तरह की परेशानी न हो, इसके लिए क्रय केंद्रों पर पेयजल, छाया व अन्य जरूरी इंतजाम किए गए हैं। इतनी मशक्कत के बावजूद पिछले एक महीने में महज 1.28 लाख मीट्रिक टन गेहूं ही खरीद हो पाई है जबकि सरकार ने साठ लाख टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा है।

शुक्रवार को 11,126.66 मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया। दरअसल किसानों को बाजार में गेहूं का 2300 रुपये प्रति क्विंटल तक का भाव मिल रहा है। जबकि सरकारी केंद्रों पर गेहूं एमएसपी पर 2015 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीद हो रही है। ऐसे में सरकार का लक्ष्य काफी दूर नजर आ रहा है।

लिहाजा खरीद बढ़ाने के लिए मोबाइल क्रय केंद्रों के माध्यम से गेहूं खरीदने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए क्रय केंद्र प्रभारी ग्रामीण क्षेत्र के उचित दर विक्रेताओं और ग्राम प्रधानों से बातचीत करेंगे। इस दौरान जिस गांव में बात बनेगी, वहां कांटा लगाकर गेहूं खरीदा जाएगा और ट्रक में लोड कर गेहूं सीधा भारतीय खाद्य निगम को भेज दिया जाएगा। निगम के डिपो तक की वास्तविक दूरी का भुगतान टेंडर की दरों के अनुसार परिवहन ठेकेदार को किया जाएगा।

खाद्य एवं रसद विभाग के अधिकारियों के मुताबिक किस गांव में किस तिथि को खरीद होगी, इसकी सूचना क्रय केंद्र प्रभारी मोबाइल ग्राम प्रधान एवं संबंधित उचित दर विक्रेता देंगे। ग्राम प्रधान व उचित दर विक्रेता गांव में जाकर किसानों को मोबाइल टीम के आने के समय की सूचना देंगे। जिससे किसान उस दिन गेहूं बेचने के लिए तैयार रहें।

मोबाइल क्रय क्रेंद्र का संचालन करने वाली टीम संबंधित गांव के सार्वजनिक स्थल जैसे पंचायत भवन, उचित दर विक्रेता की दुकान आदि पर गेहूं खरीदेगी। क्रय केंद्र प्रभारियों के नाम व टेलीफोन नंबर का प्रचार-प्रसार कराया जाएगा। जिससे किसान स्वयं केंद्र प्रभारी से संपर्क कर सुविधा का लाभ उठा सकें।

anita
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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