मिस्र के शर्म-अल-शेख में संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता (कॉप 27) में सोमवार को संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने दुनिया को चेताते हुए कहा, जलवायु परिवर्तन के चलते दुनिया नरक के हाईवे और पैर एक्सेलरेटर पर है। अपनी जिंदगी की जंग हम तेजी से हार रहे हैं। हमारे पास यह आखिरी मौका है कि आने वाली पीढ़ियों के लिए इस ग्रह को बचा सकें। अब कोई विकल्प शेष नहीं है। या तो सहयोग करें या नरक में जलें।
इसके साथ ही उन्होंने कहा हर हाल में दुनिया को 2040 तक कोयला के इस्तेमाल से मुक्त करना होगा। दुनिया के सबसे अमीर और सबसे गरीब देशों के बीच एक समझौते का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा, जीवाश्म ईंधन से संक्रमण में तेजी लाई जा सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि गरीब देश उत्सर्जन को कम कर सकें और जलवायु प्रभावों का सामना कर सकें जो पहले ही हो चुके हैं।
सम्मेलन की मेजबानी कर रहे मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतेह अल सीसी ने कहा, जलवायु परिवर्तन बिना मानवीय प्रयासों के रुकने वाला नहीं। दुनिया के पास अब बहुत कम वक्त बचा है। उन्होंने गरीब और अमीर देशों के बीच नए समझौते का प्रस्ताव रखा, जिसके तहत अमीर और विकसित देश 2030 तक उत्सर्जन खत्म करें और बाकी देशों को 2040 तक उत्सर्जन खत्म करने में मदद करें। संयुक्त राष्ट्र जलवायु प्रमुख सिमोन स्टील ने दुनियाभर के कई बड़े देशों के नेताओं के नहीं आने पर निराशा जताते हुए कहा कि ऐसे रवैये से तो समस्या टलने वाली नहीं है।
भारत का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन वैश्विक औसत से कम
दुनिया को ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन से गर्म कर तबाही की तरफ ले जाने वालों में 15 गीगा टन के साथ सबसे ऊपर चीन है। वह अकेला भारत, अमेरिका और यूरोपीय संघ के 27 देशों से ज्यादा उत्सर्जन करता है। 3.5 गीगा टन के साथ भारत तीसरे स्थान पर है। हालांकि, उत्सर्जन को प्रति व्यक्ति के हिसाब से आंका जाता है, तो भारत वैश्विक औसत 6.3 टन प्रति व्यक्ति के औसत से आधे से भी कम 2.4 टन प्रति व्यक्ति उत्सर्जन कर रहा है। अमेरिका 15 टन प्रति व्यक्ति उत्सर्जन के साथ सबसे आगे है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जियेवा ने कहा कि दुनिया फिलहाल कार्बन क्रेडिट व्यवस्था से लक्ष्यों से काफी पीछे है। 2030 तक प्रति टन कार्बन की कीमत कम से कम 75 डॉलर होनी चाहिए। फिलहाल यह 2 डॉलर प्रति टन है।
यूएई ने कहा- जारी रहेगा तेल उत्पादन
अगले वर्ष सीओपी-28 की मेजबानी करने वाले यूएई ने कहा कि जब तक जरूरी होगा, तेल उत्पादन जारी रखा जाएगा। यूएई उन देशों में शामिल है, जो जीवाश्म ईंधन के चलन को तेजी से खत्म करने के विचार के विरोध में है।
चेतावनी : सदी के अंत में धधकने लगेगी धरती
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की इमिशन गैप रिपोर्ट के मुताबिक ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन मौजूदा स्तर रहा तो सदी के अंत में धरती का तापमान 2.8 डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका होगा। जीवन बचाए रखने के लिए इसमें 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक की बढ़ोतरी नहीं होनी चाहिए।