नई दिल्ली, 5 दिसंबर 2024, गुरुवार। सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी में कहा है कि राजनीति में प्रवेश करने वाले व्यक्तियों को सभी प्रकार की अवांछित और अनावश्यक टिप्पणियों के लिए तैयार रहना चाहिए। यह टिप्पणी केंद्रीय मंत्री एल.मुरुगन की मानहानि की याचिका पर सुनवाई के दौरान की गई थी। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि राजनीति में रहने के लिए चमड़ी गैंडे जैसी मोटी होनी चाहिए।
मुरुगन के खिलाफ मानहानि की कार्यवाही पर शीर्ष अदालत ने लगाई रोक
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री एल.मुरुगन के खिलाफ आपराधिक मानहानि की शिकायत दर्ज की गई थी। यह शिकायत चेन्नई स्थित मुरासोली ट्रस्ट द्वारा दिसंबर 2020 में एक संवाददाता सम्मेलन में कथित मानहानि करने वाले बयानों के खिलाफ दर्ज की गई थी।
मुरुगन ने मद्रास उच्च न्यायालय के पांच सितंबर, 2023 के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया, जिसमें मानहानि की कार्यवाही को रद्द करने से इनकार कर दिया गया था। शीर्ष अदालत ने मामले पर सुनवाई करते हुए सितंबर 2023 में मुरुगन के खिलाफ आपराधिक मानहानि के मामले में कार्यवाही पर रोक लगा दी थी।
मुरुगन के खिलाफ मानहानि केस: सुप्रीम कोर्ट ने ट्रस्ट से पूछा – क्या आप माफी मांगने को तैयार हैं?
जस्टिस गवई और जस्टिस विश्वनाथन की पीठ ने केंद्रीय मंत्री एल.मुरुगन के खिलाफ मानहानि के मामले में सुनवाई की। पीठ ने मुरुगन के वकील से पूछा कि क्या वे यह बयान देने को तैयार हैं कि उनकी मानहानि करने की कोई मंशा नहीं थी।
ट्रस्ट की ओर से पेश वकील ने कहा कि पद पर आसीन व्यक्ति को जवाबदेह होना चाहिए। जस्टिस गवई ने कहा कि जब आप राजनीति में प्रवेश करते हैं, तो आपको सभी प्रकार की अवांछित, अनावश्यक टिप्पणी के लिए तैयार रहना चाहिए।
ट्रस्ट की ओर से पेश वकील ने कहा कि वे राजनीति में शामिल नहीं हैं। पीठ ने ट्रस्ट के वकील से कहा, ‘वह (याचिकाकर्ता) यह बयान दे रहे हैं कि उनका इरादा आपकी भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं था।’
वकील ने निर्देश प्राप्त करने के लिए गुरुवार तक का समय मांगा। जस्टिस गवई ने कहा, ‘उन्हें जनता के सामने लड़ाई लड़नी चाहिए। आजकल महाराष्ट्र में कहा जा रहा है कि अगर आपको राजनीति में रहना है तो आपकी चमड़ी गैंडे जैसी मोटी होनी चाहिए।’
पीठ ने मामले की अगली सुनवाई पांच दिसंबर तक के लिए टाल दी। शीर्ष अदालत ने सितंबर 2023 में मुरुगन के खिलाफ चेन्नई की एक विशेष अदालत में लंबित कार्यवाही पर रोक लगा दी थी और उनकी याचिका पर मुरासोली ट्रस्ट से जवाब तलब किया था।