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Monday, May 6, 2024

यूक्रेन में बढ़ा परमाणु हमले का खतरा- रूस की सेना ने किया न्यूक्लियर, मिसाइलें दागने का अभ्यास

सिमुलेटर पर आधारित परमाणु मिसाइलों का यह अभ्यास रूस के कैलिनिनग्राद में किया गया। 70 दिनों से जारी रूस यूक्रेन जंग में अब तक हजारों लोग मारे गए हैं और सवा करोड़ से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं। विस्थापितों की यह संख्या दूसरे विश्व युद्ध के बाद की सर्वाधिक बताई जा रही है। रूस के रक्षा मंत्रालय के अनुसार उसकी सेना ने मिसाइल प्रणालियों, हवाई क्षेत्रों और मिसाइल दागने में सक्षम सुरक्षित बुनियादी ढांचे जैसे लक्ष्यों पर एक से ज्यादा हमलों का अभ्यास किया।

कृत्रिम अभ्यास में छद्म दुश्मन के कई ठिकानों पर हमले
24 फरवरी को यूक्रेन पर हमले के बाद से दोनों देशों के बीच जंग जारी है। इस बीच, रूस की ओर से कई बार परोक्ष परमाणु हमले की चेतावनी दी जा चुकी है। बुधवार को यूरोपीय संघ के सदस्यों पोलैंड और लिथुआनिया के बीच स्थित बाल्टिक सागर पर स्थित रूसी सेना के ठिकाने पर युद्धाभ्यास के दौरान परमाणु हमले में सक्षम इस्कंदर बैलिस्टिक मिसाइल प्रणाली के कृत्रिम इलेक्ट्रॉनिक लांच का अभ्यास किया गया। इस कृत्रिम अभ्यास में छद्म दुश्मन के कई ठिकानों पर हमले किए गए। इसके संभावित पलटवार से बचने के उपायों का भी परीक्षण किया गया।

विकिरण व रासायनिक असर का भी आकलन
परमाणु अभ्यास में हमले के कारण फैलने वाले विकिरण व रासायनिक असर का भी आकलन किया गया। इस अभ्यास में 100 से ज्यादा रूसी सैनिक व अफसर शामिल हुए। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 24 फरवरी को यूक्रेन पर हमले के बाद से ही अपने देश की परमाणु सेना को हाई अलर्ट पर रखा है। इस बीच गहराते संकट को देखते हुए कई बार रूस की ओर से तीसरे विश्व युद्ध की आशंकाएं भी प्रकट की गईं।

पश्चिमी देशों ने दखल दिया तो खतरा बढ़ेगा
उधर, रूसी रक्षा मुख्यालय क्रेमलिन ने कहा है कि यदि पश्चिम देशों ने यूक्रेन में दखल दिया तो तेजी से बदला लिया जाएगा। जानकारों का कहना है कि रूस के सरकारी चैनल हाल ही में कई बार देश के परमाणु अस्त्रों के उपयोग को लेकर जनता को अवगत करा चुके हैं। रूसी अखबार के संपादक और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता दिमित्री मुराटोव ने मंगलवार को कहा, ‘दो सप्ताह से, हम अपने टेलीविजन स्क्रीन से सुन रहे हैं कि परमाणु गोदामों को खोला जाना चाहिए।’

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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