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Sunday, April 28, 2024

पार्टी के अकेले सांसद फिर भी बने श्रीलंका के प्रधानमंत्री

रानिल विक्रमसिंघे श्रीलंका के नए प्रधानमंत्री बन गए हैं। खास बात ये है कि वो अपनी पार्टी के इकलौते सांसद हैं। पांचवी बार श्रीलंका की सत्ता संभाल रहे विक्रमसिंघे यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के सांसद हैं। यूएनपी श्रीलंका की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी है। अगस्त 2020 में हुए पिछले चुनाव में इस पार्टी को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली थी। यहां तक की पार्टी नेता रानिल विक्रमसिंघे भी कोलंबो सीट से चुनाव हार गए थे। बाद में, संचयी राष्ट्रीय वोट के आधार पर यूएनपी को एक सीट आवंटित हुई। इस सीट से जून 2021 में विक्रमसिंघे संसद पहुंचे। इस वक्त वो अपनी पार्टी के अकेले सांसद हैं।

श्रीलंका में अपनी पार्टी के इकलौते सांसद होने के बाद भी विक्रमसिंघे प्रधानमंत्री बन गए, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में भी इस तरह के मामले सामने आ चुके हैं। जब सबसे बड़ी पार्टी सत्ता में नहीं पहुंची। यहां तक की एक राज्य में तो एक बार निर्दलीय विधायक राज्य के मुख्यमंत्री तक बने थे। आइये जानते हैं ऐसे ही रोचक किस्सों को…

जब निर्दलीय विधायक बन गए मुख्यमंत्री
नवंबर 2000 में झारखंड राज्य अस्तिव में आया। भाजपा सत्ता में आई। पांच साल बाद चुनाव हुए तो किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला। पहले शिबू सोरेन फिर अर्जुन मुंडा राज्य के मुख्यमंत्री बने। साल 2006 में तीन निर्दलीय विधायकों ने मुंडा सरकार से समर्थन वापस ले लिया। भाजपा सरकार अल्पमत में आ गई। जिन तीन विधायकों ने समर्थन वापस लिया था वो यूपीए के साथ चले गए। इतना ही नहीं इन तीन निर्दलीय विधायकों में से एक मधु कोड़ा विधायक दल के नेता बने। निर्दलीय विधायक कोड़ा राज्य के मुख्यमंत्री बन गए। हालांकि, 23 महीने बाद ही झारखंड मुक्ति मोर्चा ने कोड़ा सरकार से समर्थन वापस ले लिया। कोड़ा को इस्तीफा देना पड़ा।

महज 46 लोकसभा सीटें जीतने वाली पार्टी से बने दो-दो प्रधानमंत्री
1996 के लोकसभा चुनाव किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। 161 सीट जीतकर भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ा दल बनी। अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री बने। वाजपेयी सदन में बहुमत नहीं जुटा पाए और उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। नए प्रधानमंत्री बने एचडी देवगौड़ा। देवगौड़ा जनता दल से आते थे। जनता दल के उस वक्त महज 46 सांसद थे। पार्टी सदन में संख्या बल के लिहाज से तीसरे नंबर पर थी। इसके बाद भी जनता दल के एक नहीं बल्कि दो-दो प्रधानमंत्री बने। पहले देवगौड़ा और बाद में इंद्र कुमार गुजराल।

राज्यों में भी दो सबसे बड़ी पार्टी से अलग किसी और पार्टी के नेता हैं मुख्यमंत्री
राज्यों में भी कई बार इस तरह के मामले सामने आ चुके हैं, जब चुनाव में दो सबसे बड़ी पार्टियों से इतर किसी और पार्टी का नेता मुख्यमंत्री बना। मौजूदा दौर की बात करें तो बिहार में इस वक्त एनडीए की सरकार है। नीतीश कुमार राज्य के मुख्यमंत्री हैं। नीतीश की पार्टी राज्य में सीटों के लिहाज से तीसरे नंबर पर है। 77 विधायकों के साथ भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है। वहीं, 76 विधायकों के साथ राजद दूसरे नंबर की पार्टी है। नीतीश की पार्टी जदयू के सिर्फ 45 विधायक हैं। महाराष्ट्र में भी इस वक्त भाजपा सबसे बड़ी पार्टी होने के बाद भी विपक्ष में हैं। वहीं, 288 विधायकों के सदन में महज 56 विधायकों वाली पार्टी शिवसेना के उद्धव ठाकरे राज्य के मुख्यमंत्री हैं।

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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