हाईकोर्ट ने बेतरतीब निर्माण और एक नाले के पानी के चोक होने के कारण 80 वर्षीय वरिष्ठ नागरिक के घर हर मानसून में पानी भरने के लिए दिल्ली नगर निगम को जिम्मेदार ठहराया है। अदालत ने कहा यह सुनिश्चित करना कि सार्वजनिक जल निकासी प्रणाली पूरी तरह से काम कर रही है और नालियों के चोक होने वाले तलछट के अवरोध से बचाना एमसीडी का काम है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एमसीडी ने न केवल जलभराव को मुद्दा बनाया है, बल्कि उचित उपाय न करके स्थिति को बढ़ा दिया है। अदालत ने एमसीडी को उक्त बुर्जुग को 9 लाख रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिया है।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चन्द्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने अपने फैसले में एमसीडी को फटकार लगाते हहुए कहा कि एमसीडी निवासियों को यह तर्क नहीं दे सकती कि चूंकि तूफान के कारण नालियां बंद हैं कुछ भी नहीं किया जा सकता है। अदालत ने कहा ऐसा तर्क रख एमसीडी अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में बुरी तरह विफल रही है क्योंकि उसने स्वीकार किया है कि उसने एक के ऊपर एक सड़कें बिछाई हैं जिससे सड़कों की ऊंचाई बढ़ती जा रही है जो नहीं होनी चाहिए थी।
पीठ ने कहा एमसीडी ने यह भी सुनिश्चित नहीं किया कि क्षेत्र में उचित वर्षा जल निकासी हो ताकि बारिश का पानी निकाला जा सके। पीठ ने याची लीला माथुर की उम्र पर ध्यान दिया और कहा कि वह एक दशक से अधिक समय से मुकदमेबाजी कर रही है उसे अपनी भौतिक संपत्ति का नुकसान हुआ था और लंबे समय से अत्यधिक पीड़ा और चिंता से गुजरी है।
पीठ ने कहा कि उक्त 9 लाख रुपये मुआवजा राशि उसके घर के पुननिर्माण पर आने वाले खर्च 21 लाख रुपये की भरपाई करेगा।
याची माथुर ने कहा कि मानसून के दौरान घर में रहना असंभव हो जाता है क्योंकि बारिश का पानी घर में भर जाता है और लकड़ी के काम को नष्ट कर दिया और अन्य भौतिक संपत्ति को बर्बाद कर दिया।
एमसीडी ने तर्क दिया कि जलभराव का कारण आजाद नगर में संपत्ति को नियमित नहीं किया गया। एमसीडी ने समय-समय पर याची को समाधान दिया लेकिन माथुर मुआवजा प्राप्त करने पर अड़ी रही।
पीठ ने एमसीडी के तर्क को खारिज करते हुए कहा कि नागरिकों को बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के सटीक उद्देश्य के लिए गठित एमसीडी इस आधार पर जिम्मेदारी से नहीं बच सकती कि निर्माण अनधिकृत है। अदातल ने दिल्ली जल बोर्ड की ओर से पेश अधिवक्ता अजय अरोड़ा के तर्क पर सहमति जताई कि केवल नया सीवरेज कनेक्शन मिलने से समस्या का समाधान नहीं होगा क्योंकि मानसून में नालियां चोक हो जाती हैं।