चीन द्वारा ताइवान स्ट्रेट में चार दिनी युद्धाभ्यास की अवधि खत्म होने के बावजूद उसे बढ़ाने के बाद ताइवान भी अलर्ट हो गया है। मंगलवार को जहां चीनी विमानों और युद्धपोतों ने अपनी समुद्री सीमा के बाहर जाकर सैन्य अभ्यास जारी रखा, वहीं ताइवान ने भी चीन के जवाब में युद्धाभ्यास शुरू कर दिया है। इस बीच, ताइवानी विदेश मंत्री जोसेफ वू ने कहा कि ताइवान स्ट्रेट के रास्ते चीन पूर्वी और दक्षिणी चीन सागर पर कब्जा करना चाहता है।
ताइवान क्षेत्र के आसपास चीनी अभ्यास के जवाब में ताइवान का युद्धाभ्यास शुरू करना एक बड़ी घटना है जिसे चीन को चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। बता दें कि ताइवान को अमेरिका का सीधा समर्थन है। चीन का कहना है कि उसने पिछले सप्ताह अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के जवाब में सैन्य अभ्यास शुरू किया था
लेकिन ताइवानी विदेश मंत्री ने कहा कि चीन उनकी यात्रा को एक बहाने के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है और अभ्यास के नाम पर वह एशिया-प्रशांत क्षेत्र की यथास्थिति में बदलाव करना चाहता है। जोसेफ वू ने कहा कि चीन दूसरे देशों को ताइवान की मदद से रोकना चाहता है। इसलिए पेलोसी के बहाने चीन ने ताइवान की ओर से कई खाद्य सामग्रियों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिए।
ताइवान ने भी चीन के अभ्यास का जवाब देते हुए सोमवार देर रात अपना सैन्य अभ्यास शुरू किया। इस दौरान उसकी ओर से तोपों से गोले दागे गए और जमीनी सैन्य अभ्यास किया गया। ताइवानी सैन्य अभ्यास की पुष्टि आठवीं आर्मी कॉर्प्स के प्रवक्ता ए लू वी जे ने की है।
मंगलवार को जब सैन्य अभ्यास के दौरान तोप से आखिरी गोला दागा गया तो उस ताइवान के सैनिक चिल्लाए ‘हमारा मिशन पूरा हुआ।’ अब बृहस्पतिवार को भी ताइवान सैन्याभ्यास करेगा, जिसमें सैकड़ों सैनिकों और 40 होवित्जर तोपों की तैनाती की जाएगी। हालांकि लू का कहना है कि ताइवान का यह सैन्य अभ्यास पहले से ही तय था।
ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू ने कहा कि चीन का असली इरादा ताइवान पर आक्रमण करना है और यह युद्धाभ्यास उसी की तैयारी है। इस अभ्यास के जरिये चीन चाहता है कि अन्य देश ताइवान की मदद के लिए आगे न आएं। यह अभ्यास ताइवान से परे चीन की भू-राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को दर्शाता है। बता दें, ताइवान को अपना क्षेत्र बताते हुए चीन लंबे समय से कहता आया है कि यदि जरूरी हुआ तो वह द्वीप को बलपूर्वक अपने में शामिल कर लेगा।
ताइवान को चीन एक अलग हुए प्रांत के रूप में देखता है जिस पर जरूरत पड़ने हुई तो वह सैन्य नियंत्रण का सपना देखता है। हालांकि ताइवान एक स्व-नियंत्रित द्वीप है जो खुद को चीन से अलग समझता है। ताइवान के आसपास नई गतिविधियों की शुरुआत तब हुई, जब चीन के समुद्र तटीय प्राधिकरण ने घोषणा की कि इन अभ्यासों को अन्य स्थानों पर भी किया जाएगा।