नई दिल्ली, 30 नवंबर 2024, शनिवार। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य पुलिस द्वारा केंद्रीय जांच एजेंसियों के कर्मचारियों की गिरफ्तारी पर महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में संतुलन बनाए रखना बहुत जरूरी है। जस्टिस सूर्यकांत और उज्जल भुयान ने तमिलनाडु पुलिस द्वारा ईडी अधिकारी को गिरफ्तार किए जाने के संबंध में सुनवाई करते हुए यह बात कही। ईडी अधिकारी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं, लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि आरोपी को भी निष्पक्ष जांच का अधिकार है। कोर्ट ने इस मामले को केंद्र बनाम राज्य का एक क्लासिक केस बताया है और कहा है कि वे संघीय ढांचे को व्यापक रूप से देखेंगे और इस तरह के मामलों की जांच के लिए एक सिस्टम बनाएंगे। इसके साथ ही, कोर्ट ने अगले आदेश तक गिरफ्तार ईडी अफसर को अंतरिम जमानत दे दी है।
तमिलनाडु में एक ईडी अफसर को 20 लाख रुपये घूस लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया था। इस मामले में भ्रष्टाचार रोधी ऐक्ट के तहत जांच पूरी होने वाली है। तमिलनाडु के एडिशनल एडवोकेट जनरल अमित आनंद तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ईडी द्वारा सुप्रीम कोर्ट का रुख करने के कारण राज्य पुलिस चार्जशीट फाइल करने के लिए इंतजार कर रही है।
इस पर जब आरोपी अधिकारी के वकील ने हस्तक्षेप करना चाहा, तो तिवारी ने आपत्ति जताई। उन्होंने वकील को यह कहते हुए रोक दिया कि आरोपी यह तय नहीं करेगा कि कौन सी एजेंसी मामले की जांच करेगी। हालांकि बेंच ने कहा कि आरोपी भले ही जांच एजेंसी तय नहीं कर सकता, लेकिन उसे निष्पक्ष जांच का पूरा अधिकार है।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी: राज्य पुलिस की ताकत और केंद्रीय कर्मचारियों के अधिकारों में संतुलन जरूरी!
बेंच ने संघीय ढांचे के तहत सभी के अधिकारों की बात कही। उन्होंने कहा कि अगर राज्य पुलिस किसी केंद्रीय कर्मचारी को गिरफ्तार कर लेती है, तो इससे संवैधानिक खतरा पैदा हो सकता है। इसके साथ ही, कोर्ट ने कहा कि राज्य पुलिस को अपने न्याय क्षेत्र में जांच करने की अनुमति देना भी जरूरी है।