वाराणसी, 29 मार्च 2025, शनिवार। उत्तर प्रदेश की सियासत एक बार फिर गरमा गई है। इस बार मामला आगरा से शुरू हुआ और वाराणसी तक पहुंच गया। समाजवादी पार्टी (सपा) के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन के घर करणी सेना के कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए उग्र प्रदर्शन और तोड़फोड़ ने नया विवाद खड़ा कर दिया है। इस घटना के विरोध में सपा ने वाराणसी में जोरदार प्रदर्शन किया और दलित सांसद की सुरक्षा के साथ-साथ करणी सेना के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग उठाई।
वाराणसी में सपा का प्रदर्शन, राष्ट्रपति को लिखा पत्र
शनिवार को वाराणसी के जिला मुख्यालय पर सपा कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे। समाजवादी पार्टी की बाबा साहब अंबेडकर विंग के नेतृत्व में हुए इस प्रदर्शन में कार्यकर्ताओं ने जमकर नारेबाजी की। सपा ने इसे दलित उत्पीड़न का मुद्दा बनाते हुए राष्ट्रपति के नाम एक पत्रक तैयार किया, जिसे एडीएम सिटी आलोक वर्मा को सौंपा गया। इस पत्रक में दलितों पर बढ़ते अत्याचार को रोकने और सांसद रामजी लाल सुमन के घर हुई घटना के दोषियों पर कठोर कार्रवाई की मांग की गई।
आगरा में क्या हुआ था?
मामले की जड़ आगरा में है। सपा के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन ने संसद में राणा सांगा को लेकर एक बयान दिया था, जिसे लेकर करणी सेना भड़क गई। सांसद ने स्पष्ट किया था कि उनका इरादा किसी समुदाय या जाति को निशाना बनाना नहीं था। बावजूद इसके, 26 मार्च को करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने आगरा में उनके घर पर धावा बोल दिया। प्रदर्शनकारियों ने न सिर्फ हंगामा मचाया, बल्कि तोड़फोड़ भी की। हैरानी की बात यह रही कि पुलिस की मौजूदगी के बावजूद यह अराजकता जारी रही। सपा इसे दलित सांसद के खिलाफ साजिश और उत्पीड़न के तौर पर देख रही है।
दलित सांसद के घर हमला शर्मनाक
प्रदर्शन के दौरान समाजवादी बाबा साहब अंबेडकर वाहिनी के जिलाध्यक्ष जितेंद्र यादव ने कहा, “रामजी लाल सुमन ने संसद में अपना पक्ष रखा था। उन्होंने किसी को ठेस पहुंचाने की मंशा नहीं जताई। फिर भी करणी सेना ने उनके घर पर हमला किया। यह बेहद गलत है। सांसद दलित समुदाय से आते हैं और उनके साथ ऐसा व्यवहार निंदनीय है।” जितेंद्र ने पुलिस की निष्क्रियता पर भी सवाल उठाए और इसे कानून-व्यवस्था की विफलता करार दिया।
सांसद सुरक्षित नहीं तो आम आदमी का क्या?
सपा की नेता पूजा यादव ने इस मुद्दे को और गंभीरता से उठाया। उन्होंने कहा, “प्रदेश में दलितों पर अत्याचार थमने का नाम नहीं ले रहा। एक सांसद के घर पर तलवार लेकर लोग पहुंच जाते हैं और कोई कार्रवाई नहीं होती। अगर सांसद सुरक्षित नहीं हैं, तो आम आदमी अपनी शिकायत कहां लेकर जाए?” पूजा ने राष्ट्रपति से अपील की कि इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप किया जाए और दोषियों को सजा दी जाए।
सियासी रंग ले रहा मामला
यह घटना अब सियासी रंग लेती दिख रही है। सपा इसे दलित उत्पीड़न से जोड़कर अपनी राजनीति चमकाने में जुटी है। वाराणसी में प्रदर्शन के बाद पार्टी के कार्यकर्ता जगह-जगह इस मुद्दे को उठाने की तैयारी में हैं। दूसरी ओर, करणी सेना के कार्यकर्ताओं का कहना है कि सांसद का बयान उनकी भावनाओं को आहत करने वाला था, जिसके चलते यह कदम उठाया गया।
फिलहाल, यह विवाद थमता नजर नहीं आ रहा। सवाल यह है कि क्या इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई होगी या यह सिर्फ सियासी बयानबाजी तक सीमित रह जाएगा? जवाब आने वाले दिनों में मिलेगा। तब तक वाराणसी से आगरा तक सपा और करणी सेना के बीच यह जंग सुर्खियों में बनी रहेगी।