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Friday, July 4, 2025

वाराणसी गैंगरेप मामले में SIT जांच: सवालों के घेरे में सच और झूठ

वाराणसी, 17 अप्रैल 2025, गुरुवार। वाराणसी में एक छात्रा से कथित गैंगरेप का मामला सुर्खियों में है, लेकिन इसकी परतें जितनी खुल रही हैं, उतने ही सवाल उठ रहे हैं। पुलिस ने इस हाई-प्रोफाइल केस की जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) गठित की है, जिसे 30 दिनों में चार्जशीट दाखिल करने का निर्देश दिया गया है। DCP क्राइम प्रमोद कुमार इस जांच को लीड करेंगे। पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ किया कि प्राथमिक मेडिकल रिपोर्ट में पीड़िता के शरीर पर कोई गंभीर चोट नहीं मिली है, और दूसरी रिपोर्ट का इंतजार है। लेकिन, इस मामले में कई चौंकाने वाले खुलासे और विरोधाभास सामने आ रहे हैं, जो इसे और रहस्यमयी बना रहे हैं।

क्या है पूरा मामला?

29 मार्च को एक छात्रा अचानक लापता हो गई। पिता के मुताबिक, 4 अप्रैल को पुलिस ने उसे उसकी सहेली के घर से बरामद किया, जब वह बेसुध हालत में थी। 48 घंटे बाद, उसने 23 लोगों द्वारा 6 दिनों तक गैंगरेप का सनसनीखेज आरोप लगाया। पुलिस ने 7 अप्रैल को FIR दर्ज की और अब तक 14 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। लेकिन, कहानी यहीं खत्म नहीं होती।

सवालों का जाल और सबूतों की कमी

पुलिस कमिश्नर ने बताया कि SIT जांच में जब तक ठोस सबूत नहीं मिलते, कोई नई गिरफ्तारी नहीं होगी। इस बीच, आरोपियों के परिजनों ने मामले को उलटने वाले कई दावे किए हैं। उनके मुताबिक, पीड़िता ने अपने बयान में आरोपियों के नाम तक सही से नहीं बताए। उन्होंने पुलिस को इंस्टाग्राम चैट और वीडियो सौंपे हैं, जिनमें पीड़िता कथित तौर पर 2-3 अप्रैल को एक आरोपी के कैफे जाने की बात लिख रही है। हैरानी की बात, यह वही समय है जब वह खुद को बंधक बता रही थी। एक चैट में उसने लिखा, “मैं कैफे पहुंच रही हूं…”।
इसके अलावा, पीड़िता की सहेली का घर उसके घर से महज 500 मीटर दूर है, फिर भी उसने 5 दिन तक अपने परिवार से संपर्क क्यों नहीं किया? परिजनों ने इस दौरान न तो पुलिस में शिकायत दर्ज की और न ही हेल्पलाइन 112 पर कॉल किया। पुलिस ने उसे सहेली के घर से ही बरामद किया था।

आरोपियों के परिजनों का गंभीर इल्ज़ाम

आरोपियों के 100 से ज्यादा परिजनों ने पुलिस कमिश्नर कार्यालय में प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपा। उनका दावा है कि पुलिस उनसे पैसे मांग रही है। उन्होंने सीसीटीवी फुटेज का हवाला दिया, जिसमें पीड़िता 31 मार्च को कुछ आरोपियों के साथ हंसी-खुशी घूमती दिख रही है। इंस्टाग्राम पर 2 अप्रैल को उसकी खुशमिजाज तस्वीरें भी पोस्ट हुईं, जबकि FIR में इस दौरान गैंगरेप की बात कही गई है। परिजनों ने सवाल उठाया कि अगर 23 लोगों ने बलात्कार किया, तो पीड़िता के शरीर पर चोट के निशान क्यों नहीं मिले? साथ ही, वह कथित घटनाओं के दौरान अस्सी घाट, सिगरा मॉल और अन्य जगहों पर अकेले क्यों घूम रही थी?

पुलिस की कार्रवाई और PM की नाराजगी

इस मामले ने तब तूल पकड़ा, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 अप्रैल को वाराणसी दौरे के दौरान पुलिस कमिश्नर से सख्ती बरतने को कहा। PM की नाराजगी के बाद DCP वरुणा चंद्रकांत मीना को लखनऊ अटैच कर दिया गया। सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने शुरुआती जांच में लापरवाही बरती थी। इसके अलावा, लालपुर थाने के दरोगा विवेक कुमार पाठक को हटाकर निरीक्षक राजीव कुमार सिंह को नया प्रभारी बनाया गया है।

क्या सच सामने आएगा?

यह मामला कई सवाल छोड़ रहा है। पीड़िता की गतिविधियां, इंस्टाग्राम चैट, सीसीटीवी फुटेज और मेडिकल रिपोर्ट के बीच विरोधाभास इस केस को जटिल बना रहे हैं। SIT अब इन सभी पहलुओं की गहन जांच करेगी। पुलिस कमिश्नर ने भरोसा दिलाया है कि किसी भी निर्दोष को सजा नहीं मिलेगी और न ही कोई दोषी बचेगा। लेकिन, इस मामले में सच क्या है, यह तो समय और जांच ही बताएंगे।

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