कोच्चि, 20 नवंबर 2024, बुधवार: केरल हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसमें कहा गया है कि देवरानी या जेठानी भी दहेज उत्पीड़न के मामले में आरोपी हो सकती हैं। यह फैसला न्यायमूर्ति ए बदरुद्दीन ने एक मामले में सुनाया, जिसमें पति की भाई की पत्नी ने अपने खिलाफ धारा 498ए के तहत शुरू की गई कार्यवाही को रद्द करने की मांग की थी।
हाईकोर्ट ने कहा कि यदि पति या उसके परिवार के सदस्य पत्नी का बॉडी शेमिंग करते हैं, तो यह भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए के तहत अपराध की श्रेणी में आएगा। इसके अलावा, जानबूझकर किए गए ऐसे सभी कृत्य जो महिला को आत्महत्या करने के लिए मजबूर कर सकते हैं या उसके जीवन, अंग या स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं, वह क्रूरता के रूप में माना जाएगा।
इस मामले में, पति की भाई की पत्नी ने तर्क दिया था कि वह धारा 498ए के तहत रिश्तेदार के दायरे में नहीं आती है, लेकिन हाईकोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि भाई की पत्नी उसी घर में रह रही थी, जहां शिकायतकर्ता महिला भी रहती थी, इसलिए वह धारा 498ए के तहत रिश्तेदार के दायरे में आती है।
बॉडी शेमिंग को माना क्रूरता
केरल हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसमें बॉडी शेमिंग को क्रूरता के रूप में मान्यता दी गई है। इस मामले में, याचिकाकर्ता ने अपने खिलाफ आपराधिक कार्यवाही रद्द करने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन अदालत ने याचिका खारिज कर दी। अदालत ने पाया कि याचिकाकर्ता ने शिकायतकर्ता के शरीर पर चुटकुले बनाकर मजाक उड़ाया था और कहा था कि उसका पति और भी सुंदर और उससे ज्यादा उपयुक्त महिलाओं को ढूंढ सकता है। इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने शिकायतकर्ता की मेडिकल डिग्री पर भी सवाल उठाए थे। अदालत ने कहा कि इन आरोपों से यह प्रतीत होता है कि याचिकाकर्ता का कृत्य मानसिक और शारीरिक क्रूरता के अंतर्गत आता है।
इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि बॉडी शेमिंग को अब क्रूरता के रूप में माना जाएगा और इसके लिए कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यह फैसला महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है और यह सुनिश्चित करता है कि महिलाएं अपने जीवन में सम्मान और गरिमा के साथ जी सकें।