वाराणसी, 24 मार्च 2025, सोमवार। श्री काशी विश्वनाथ धाम, जो भारत के प्राचीनतम और पवित्रतम तीर्थस्थलों में से एक है, में भक्तों का तांता हर मौसम में लगा रहता है। बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है। लेकिन गर्मी का बढ़ता प्रकोप भक्तों के लिए चुनौती बन सकता है। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए, श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ने एक अनुकरणीय कदम उठाया है, जो न केवल श्रद्धालुओं की सुविधा को प्राथमिकता देता है, बल्कि उनकी सुरक्षा को भी सुनिश्चित करता है।
गर्मी से राहत के लिए जर्मन हैंगर की व्यवस्था
मंदिर परिसर में तेज धूप और उमस भरी गर्मी से बचाव के लिए मंदिर चौक में जर्मन हैंगर की व्यवस्था की गई है। यह आधुनिक तकनीक से निर्मित संरचना न सिर्फ विशाल है, बल्कि हल्की और टिकाऊ भी है। इसकी छतरीनुमा बनावट श्रद्धालुओं को छाया प्रदान करेगी, जिससे वे लंबी कतारों में प्रतीक्षा करते समय भी आराम महसूस करेंगे। यह व्यवस्था विशेष रूप से गर्मी के दिनों में बाबा विश्वनाथ के दर्शन को सुलभ और सुखद बनाएगी।

मंदिर न्यास के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्वभूषण मिश्रा ने इस पहल के पीछे की मंशा को स्पष्ट करते हुए कहा, “हमारा उद्देश्य हर भक्त के लिए दर्शन को एक स्मरणीय और सुखद अनुभव बनाना है। जर्मन हैंगर की व्यवस्था से श्रद्धालुओं को तेज धूप और गर्मी से राहत मिलेगी, जिससे वे बिना किसी परेशानी के बाबा के चरणों में अपनी आस्था अर्पित कर सकेंगे।”
श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा में न्यास की प्रतिबद्धता
काशी विश्वनाथ धाम का प्रबंधन करने वाला मंदिर न्यास हमेशा से ही भक्तों की जरूरतों के प्रति संवेदनशील रहा है। चाहे वह दर्शन के लिए सुगम व्यवस्था हो, स्वच्छता का ध्यान रखना हो या भीड़ प्रबंधन, न्यास ने हर मोर्चे पर अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई है। जर्मन हैंगर की स्थापना इस दिशा में एक और कदम है, जो यह दर्शाता है कि न्यास आधुनिक तकनीक का उपयोग करते हुए भी अपनी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

यह व्यवस्था न केवल गर्मी से राहत देगी, बल्कि बुजुर्गों, बच्चों और उन श्रद्धालुओं के लिए भी वरदान साबित होगी, जो शारीरिक रूप से कमजोर हैं। तेज धूप में घंटों खड़े रहने से होने वाली थकान और स्वास्थ्य समस्याओं से अब भक्तों को बचाया जा सकेगा।
काशी का बदलता स्वरूप
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के उद्घाटन के बाद से काशी का स्वरूप तेजी से बदल रहा है। यहाँ की संकरी गलियों और अव्यवस्थित भीड़ की जगह अब एक भव्य और सुव्यवस्थित तीर्थस्थल ने ले ली है। जर्मन हैंगर जैसी व्यवस्थाएँ इस बदलाव का हिस्सा हैं, जो काशी को आधुनिकता और आस्था के संगम का प्रतीक बनाती हैं।
एक सुखद अनुभव की ओर
श्री काशी विश्वनाथ धाम में आने वाला हर भक्त यहाँ की पवित्रता और शांति का अनुभव करता है। मंदिर न्यास का यह प्रयास सुनिश्चित करता है कि गर्मी का मौसम भी भक्तों की भक्ति में बाधा न बन सके। जर्मन हैंगर की छाया में खड़े होकर जब श्रद्धालु बाबा विश्वनाथ के दर्शन करेंगे, तो उनकी आस्था के साथ-साथ मन को भी सुकून मिलेगा।

काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास की यह पहल न केवल प्रशंसनीय है, बल्कि अन्य धार्मिक स्थलों के लिए भी एक मिसाल है। यह दर्शाता है कि श्रद्धालुओं की भक्ति और सुविधा का ध्यान रखते हुए आधुनिक समाधानों को अपनाना कितना जरूरी है। बाबा विश्वनाथ के आशीर्वाद से काशी का यह नया कदम निश्चित रूप से हर भक्त के दिल में एक खास जगह बनाएगा।