इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) को लेकर उठ रहे सवालों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न हाई कोर्ट में लगभग 42 याचिकाएं दायर की गई। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा में इसकी जानकारी दी। ईवीएम से छेड़छाड़ और हैकिंग को रोकने के लिए केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल से सवाल किया गया। उन्होंने बताया कि ईवीएम एक स्टैंडअलोन मशीन है। इसमें कोई रेडियो फ्रीक्वेंसी संचार क्षमता नहीं है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, “चुनाव आयोग के अनुसार, ईवीएम एक स्टैंडअलोन मशीन है। इसमें कोई रेडियो फ्रीक्वेंसी संचार क्षमता नहीं है। यह वायरलेस, ब्लूटूथ और वाई-फाई के माध्यम से संचार नहीं कर सकती है।” लिखित में जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा, “किसी भी हेरफेर को रोकने के लिए मशीन को इलेक्ट्रॉनिक रूप से संरक्षित किया गया है। इसमें कई तकनीकी सुरक्षा विशेषताएं शामिल हैं।”
हरियाणा विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस ने ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया था। उन्होंने दावा किया था कि ईवीएम की बैटरी में अलग-अलग स्तर की चार्जिंग से अलग-अलग नतीजे मिलते हैं। चुनाव आयोग ने शिकायत खारिज करते हुए कहा कि कांग्रेस केवल संदेह का धुंआ उठा रही है। कांग्रेस कार्य समिति को संबोधित करते हुए पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि ईवीएम ने मतदान प्रक्रिया को संदिग्ध बना दिया है। चुनाव आयोग को स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना चाहिए।
चुनाव आयोग का हवाला देते हुए कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट समेत विभिन्न अदालतों पर ईवीएम को लेकर 42 याचिकाएं दायर हैं। अदालतों ने भी माना कि ईवीएम विश्वनीय और छेड़छाड़ रोधी है।” उन्होंने अपने उत्तर में मेघवाल ने यह भी बताया कि चुनाव आयोग ने ईवीएम के भंडारण और ट्रांसपोर्टेशन के दौरान सख्त सुरक्षा प्रोटोकॉल (24×7 सीसीटीवी, सशस्त्र सुरक्षा, लॉगबुक और जीपीएस आधारित वाहन) जैसी कठोर और सुरक्षित प्रशासनिक प्रक्रियाएं लागू की हैं। इसमें गैर-चुनाव अवधि से मतगणना स्थल ले जाने के लिए ईवीएम गोदाम या स्ट्रांगरूम की वीडियोग्राफी के साथ मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों की उपस्थिति में खोलना और बंद करना शामिल है। बता दें कि एक ईवीएम के लिए कम से कम एक मतपत्र इकाई और एक पेपर ट्रेल मशीन बनती है।