पंजाब पुलिस के तत्कालीन डीजीपी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय के फर्जी हस्ताक्षर कर 11 पुलिसकर्मियों की पदोन्नति की सूची जारी करने के मामले में चंडीगढ़ पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ धोखाधड़ी समेत आठ धाराओं में केस दर्ज किया है। पूरे मामले में पुलिस को मोहाली के एक निरीक्षक और चार उप निरीक्षकों की भूमिका संदेह के घेरे में है। पंजाब डीजीपी के स्टाफ में तैनात डीएसपी की शिकायत पर सेक्टर-3 थाना पुलिस ने यह कार्रवाई की है। एसएसपी कुलदीप चहल खुद इस मामले की जांच कर रहे हैं।
आठ जनवरी को जारी हुई थी सूची
आठ जनवरी को पंजाब पुलिस की ओर से 11 पुलिसकर्मियों की पदोन्नति की एक सूची जारी हुई थी। इसमें उप निरीक्षक, सहायक उप निरीक्षक, वरिष्ठ कांस्टेबल और कांस्टेबल रैंक के कर्मचारियों के नाम थे। तत्कालीन डीजीपी सिद्घार्थ चट्टोपाध्याय को जैसे ही सूची जारी होने की सूचना मिली, उन्होंने तत्काल उसकी प्रति मंगवाई। अपने वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना देते हुए उन्होंने बताया कि उन्होंने ऐसी किसी भी सूची पर कोई हस्ताक्षर नहीं किए हैं और न किसी को पदोन्नत किया है। मामले में मंगलवार को डीएसपी की शिकायत पर सेक्टर-3 थाना पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
आचार संहिता लागू होने से कुछ देर पहले जारी हुई थी सूची
पंजाब में विधानसभा चुनाव होने हैं। आठ जनवरी को चुनाव की घोषणा के साथ ही आचार संहिता लागू हो गई। आचार संहिता लागू होने से कुछ देर पहले ही यह सूची जारी हुई थी। पुलिस मामले में जांच कर रही है कि आखिर यह सूची कहां से जारी हुई और जिन लोगों के नाम सूची में थे, आखिर उन्हें ही क्यों चुना गया। जिन पुलिसकर्मियों की भूमिका संदेह के घेरे में है, जल्द ही उनसे पूछताछ की जाएगी।
इन 11 पुलिसकर्मियों का नाम था सूची में
सूची में लोकल रैंक पर तैनात एसआई नरेंद्र सिंह और हरविंदर सिंह को पक्के तौर पर एसआई, हवलदार मनी कटोच को एएसआई, एएसआई जगनंदन सिंह को एसआई, वरिष्ठ कांस्टेबल बरिंदर सिंह को एएसआई, एएसआई जसविंदर सिंह को एसआई, हवलदार मनदीप सिंह को एएसआई, हवलदार अमृतपाल सिंह को एएसआई, हवलदार राजकुमार को एएसआई, एएसआई कुलदीप सिंह को एसआई और एएसआई बलजिंदर सिंह को एसआई बनाया गया है।
पुलिसकर्मियों में दिखाई गई अफसर की मेहरबानी
जिन पुलिसकर्मियों को सूची में पदोन्नत किया गया, उन पर अफसर की मेहरबानी दिखाई गई। सूची में चार पुलिसकर्मियों को लोकल रैंक देकर एसआई बनाया गया है, वहीं चार पुलिसकर्मियों को लोकल रैंक देकर एएसआई बनाया गया है। इसके अलावा तीन कर्मचारियों को पक्की पदोन्नति दी गई है। लोकल रैंक में कर्मचारियों को कंधे पर लगाने के लिए स्टार तो मिल जाते हैं, लेकिन वेतन भत्ते सहित अन्य लाभ नहीं मिलते। यह रैंक बेहतर काम करने वाले कर्मचारियों या अफसरों की मेहरबानी पर कर्मियों को मिलती है।
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तत्कालीन डीजीपी के फर्जी हस्ताक्षर कर पदोन्नत सूची जारी करने के मामले में शिकायत मिली थी। शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज कर ली गई है। मामले में जांच शुरू कर दी गई है। जांच के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी। -केतन बंसल, एसपी सिटी, चंडीगढ़ पुलिस