ट्विन टावर ध्वस्त करने की पूरी तैयारियां हो चुकी हैं। टावर रविवार को ध्वस्त हो जाएंगे। इस बीच नोएडा पुलिस ने शहर में ड्रोन के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी है। यह रोक 31 अगस्त कर रहेगी। पुलिस का कहना है कि यह रोक सुरक्षा कारणों से लगाई गई है।
ध्वस्तीकरण को लेकर जिला प्रशासन भी अलर्ट है। बृहस्पतिवार को प्रशासन ने अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) के नेतृत्व में अधिकारियों की टीम तैनात की है। साथ ही, आपदा प्रबंधन के तहत चार अस्पतालों आरक्षित किया गया है। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की टीम को भी बुलाया गया है जो ध्वस्तीकरण से दो घंटे पहले और दो घंटे बाद तक तैनात रहेगा।
अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) डॉ. नितिन मदान को नोडल अधिकारी बनाया गया है। उनके साथ सिटी मजिस्ट्रेट नोएडा समेत चार डिप्टी कलेक्टर और अन्य अधिकारियों को जिम्मेदारी दी सौंपी गई है। अपर जिलाधिकारी ने बताया कि नोएडा के यथार्थ, जेपी, फेलिक्स और जिला अस्पताल को धवस्तीकरण के दिन के लिए सेफ अस्पताल घोषित किया गया है। ये सभी अस्पताल ट्विन टावर के आसपास है। इनके अलावा करीब दस अस्पतालों को अलर्ट पर रखा जाएगा।
नोएडा प्राधिकरण के कंट्रोल रूम में डिप्टी कलेक्टर कोमल पवार की ड्यूटी लगाई गई है। साथ ही, सीएमओ और आईएमए के एक डॉक्टर भी वहां पर मौजूद रहेंगे। हर गतिविधि पर नजर रखी जाएगी, ताकि आपदा की स्थिति में तत्काल राहत पहुंचाई जा सके। एनडीआरएफ की टीम को भी बुलाया गया है। ट्विन टावरों को ध्वस्त करने में एनडीआरएफ टीम की कोई भूमिका नहीं होगी, लेकिन अगर कोई आपदा आती है तो उस स्थिति में एनडीआरएफ की टीम मोर्चा संभालेगी। एनडीआरएफ की टीम ध्वस्तीकरण से दो घंटे पहले और दो घंटे बाद तक वहां तैनात रहेगी। हालात सामान्य होने के बाद ही टीम वहां से रवाना होगी।
आसपास की इमारतों का होगा संरचनात्मक ऑडिट
ट्विन टावर के ध्वस्तीकरण से आसपास की इमारतों को नुकसान पहुंचने की संभावना है। ऐसे में ध्वस्तीकरण के बाद इनमें लोगों का रहना सुरक्षित होगा यह बड़ा सवाल है। इस पर जिलाधिकारी ने नोएडा प्राधिकरण को पत्र लिखकर ध्वस्तीकरण के बाद सभी इमारतों का संरचनात्मक ऑडिट कराने के लिए कहा हे, ताकि इमारतों के सुरक्षित होने का पता चल सके।
ट्विन टावरों को गिराने के दौरान नोएडा में बिजली आपूर्ति बाधित रहेगी। प्रशासनिक अफसरों ने बताया कि दोपहर 12 से शाम 4 बजे तक सेंट्रल नोएडा की बिजली आपूर्ति बंद रहेगी। किसी भी तरह की असुविधा को ध्यान में रखकर यह फैसला लिया गया है।
चेतन ने बताया क्या होगा
ट्विन टावर्स को गिराने के लिए बटन दबाने वाले चेतन दत्ता कहते हैं कि हम इमारत से लगभग 50-70 मीटर दूर होंगे। कोई खतरा नहीं होगा और हमें पूरा यकीन है कि इमारत सही तरीके से ढह जाएगी। ब्लास्टिंग क्षेत्र लोहे की जाली की 4 परतों और कंबल की 2 परतों से ढका हुआ है इसलिए कोई मलबा नहीं उड़ेगा लेकिन धूल उड़ सकती है।