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Monday, May 13, 2024

चुनाव से पहले पश्चिम में छिडे़गी चौधराहट की जंग,चौधरियों के मुकाबले चौधरी को खड़ा किया गया

विधानसभा चुनाव 2022 में पश्चिमी उप्र में भाजपा के सामने दो बड़े चौधरी थे। एक प्रत्यक्ष तौर पर रालोद प्रमुख चौधरी जयंत सिंह तो दूसरे किसान आंदोलन के बहाने राकेश टिकैत। ऐसे में भाजपा के लिए पश्चिम का संघर्ष बेहद कड़ा रहा था। विधानसभा चुनाव में भाजपा को पश्चिमी उप्र के तीन जिलों में 11 सीटों का नुकसान हो गया था। तभी से भाजपा यहां जाटों पर विशेष फोकस कर रही थी। भूपेंद्र चौधरी की ताजपोशी भी इसी का परिणाम है। चौधरियों के मुकाबले चौधरी को खड़ा किया गया है।

पश्चिमी उप्र की प्रयोगशाला विधानसभा चुनाव 2022 में तमाम प्रयोगों का केंद्र रही थी। सपा और रालोद का गठबंधन इसी आधार पर हुआ था कि सपा के साथ मुस्लिम तथा अन्य बिरादरियां आएंगी तो रालोद का जाटों में खासा वर्चस्व है। यह गठबंधन कृषि आंदोलन की गूंज से भी उत्साहित था। चूंकि खास तौर पर जाट सरकार से नाराज थे। उधर भाजपा अपने कानून-व्यवस्था एवं पलायन जैसे मुद्दों के दम पर ताल ठोंक रही थी।

2022 में मेरठ, मुरादाबाद व सहारनपुर मंडलों में भाजपा 11 विधानसभा सीटों के नुकसान के बाद कड़े संघर्ष में गठबंधन के चक्रव्यूह से बाहर आ सकी। इन तीनों मंडलों की कुल 71 सीटों पर जाटों का खासा वर्चस्व है। इनमें से 2017 के चुनाव में भाजपा 51 सीटें जीती। बीस सीटें विपक्ष को मिलीं थीं। पर 2022 के चुनाव में विपक्ष ने 31 सीटें जीत लीं। मुरादाबाद मंडल में सपा-रालोद गठबंधन ने 17 सीटें जीतीं। सहारनपुर मंडल में नौ जबकि मेरठ मंडल में गठबंधन ने पांच सीटें जीतीं।

रालोद के लिए बड़ी चुनौती

रालोद का सबसे बड़ा वोट बैंक जाट माने जाते हैं पर भाजपा ने विधानसभा चुनाव में खासी सेंध लगाई थी। जाटों का वोट बंटा पर रालोद 8 सीटें जीतने में कामयाब रही। भूपेंद्र चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर भाजपा जाटों के और ज्यादा पार्टी से जोड़ना चाहती है ताकि 2024 का रण जीता जा सके। भूपेंद्र संगठन के तौर पर मजबूत हैं और पश्चिमी यूपी से हैं। दूसरा, भाकियू के साथ जो जाट रहे हैं उनमें भी भूपेंद्र की पुरानी पैठ है। भाजपा उन्हें तुरुप का पत्ता मान रही है।

भाजपा ने जाटों को पद तो बहुत दिए पर इनकी सरकार में चलती नहीं है। यहां बिरादरी को नहीं, काम को सलाम है। भाजपा के पास 27 विभाग हैं। किसी न किसी विभाग का किसी न किसी जाति के लोगों को पद दे ही देंगे। इनके ज्यादा चक्कर में आने की जरूरत नहीं है। भूपेंद्र को ओहदा बड़ा मिला है। किसानों की मदद करें।

anita
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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