भारत से चीनी और कपास के आयात को मंजूरी देने वाले पाकिस्तान ने अब अपने फैसले को पलट दिया है। इमरान खान सरकार की इस फैसले को लेकर काफी आलोचना हो रही थी। ऐसे में आंतरिक राजनीति को साधने के मकसद से इमरान खान ने पीछे हटने का फैसला लिया। गुरुवार को पीएम इमरान खान के नेतृत्व में हुई कैबिनेट मीटिंग में सरकार पैनल के फैसले को पलटने पर मुहर लगी। इससे पहले पाकिस्तान की इकॉनमिक कॉर्डिनेशन कमिटी ने भारत से चीनी और कपास के आयात को मंजूरी दी थी। दरअसल पाकिस्तान में इन उत्पादों की महंगाई काफी बढ़ गई है। ऐसे में महंगाई से निपटने के लिए भारत से आयात फिर शुरू करने का फैसला लिया गया था। लेकिन इस पर भी राजनीति शुरू हो गई और दबाव में इमरान खान सरकार ने फैसले को पलट दिया।
पाकिस्तान की ओर से फैसले को पलटने को लेकर आधिकारिक तौर पर कुछ कहा नहीं गया है। यदि इकॉनमिक कॉर्डिनेशन कमिटी का फैसला लागू होता तो दो साल बाद भारत और पाकिस्तान के बीच कारोबार की शुरुआत होती। दरअसल अगस्त 2019 में भारत की ओर से जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद पाकिस्तान ने भारत से कारोबार बंद करने का फैसला लिया था। बुधवार को ही पाकिस्तान के नए वित्त मंत्री हम्माद अजहर ने भारत के साथ कारोबार शुरू करने का ऐलान किया था। उन्होंने भारत से कपास और चीनी के आयात की बात कही थी। यही नहीं भारत से कारोबार शुरू करने के सवाल पर उन्होंने अपने फैसले का बचाव भी किया था।
एलओसी पर संघर्ष विराम के बाद लिया था अहम फैसला
इससे पहले भारत के साथ कारोबार शुरू करने के फैसले को दोनों के बीच संबंध सुधारने की पाक की कवायद के तौर पर देखा जा रहा था। इससे पहले दोनों देशों की सेनाओं ने पिछले महीने एलओसी पर संघर्ष विराम पर भी सहमति जताई थी। पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने हम्माद अजहर को मंगलवार को ही वित्त मंत्री के तौर पर नियुक्त किया था।
महंगाई से निपटने को लिया था फैसला, पर पलटना पड़ा
वित्त मंत्री हम्माद अजहर ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि पाकिस्तान में चीनी की बढ़ती कीमतों और कपास की कमी से निपटने के लिए भारत से आयात को मंजूरी दी जाएगी। इसके बाद इकॉनमिक कॉर्डिनेशन कमिटी ने निजी सेक्टर की ओर से 5 लाख टन चीनी के आयत को मंजूरी दी थी। इसके अलावा जून के अंत तक कपास के आयात का भी फैसला लिया था ताकि सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों की जरूरतों को पूरा किया जा सके।