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Friday, May 3, 2024

नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने कहा- चावल की महंगाई को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है।

खरीफ के फसल में धान की बुवाई कम होने से आने वाले समय में चावल की कीमतें बढ़ सकती हैं। इस बार चावल के उत्पादन में 60-70 लाख टन की कमी आने का अनुमान है। इससे महंगाई की दरों पर भी असर पड़ेगा।

खुदरा महंगाई अगस्त में सात फीसदी रही है। हालांकि, थोक महंगाई की दर 11 माह के निचले स्तर पर रही है। जून-सितंबर में अनियमित व दक्षिण पश्चिम की बारिश में देरी से धान की फसल कम होने का अनुमान है। उपभोक्ता मंत्रालय के अनुसार, चावल की थोक कीमत एक साल में 10.7 फीसदी बढ़कर 3,357 रुपये क्विंटल हो गई है। खुदरा भाव 9.47 फीसदी बढ़कर 38.15 रुपये किलो हो गया है।

नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने कहा कि चावल की महंगाई को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है। कीमतों में बढ़त इसलिए है क्योंकि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को बढ़ाया गया है। साथ ही खाद और ईंधन भी महंगे हुए हैं।

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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