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Friday, May 3, 2024

Investment: शेयर बाजार से लेकर सोने के निवेश या फिर छोटी बचत योजनाएं सभी से हुआ कम फायदा

इस पूरे साल में अभी तक निवेशकों को करीबन सभी साधनों से घाटा हुआ है। शेयर बाजार से लेकर सोने के निवेश या फिर सरकार की छोटी बचत योजनाएं हों, सभी ने महंगाई की तुलना में कम ही फायदा दिया है। आश्चर्य यह है कि लगातार सात फीसदी से ऊपर महंगाई दर बने रहने, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा तीन बार में ब्याज दरों में 1.40 फीसदी की वृद्धि करने के बाद भी छोटी योजनाओं की ब्याज दरें अपरिवर्तित हैं।

ऐसा माना जा रहा है कि सरकार लघु योजनाओं की ब्याज दरों में मामूली वृद्धि तो करेगी, लेकिन ब्याज दरों और महंगाई के स्तर की तुलना में वह काफी कम होगा, क्योंकि जून, 2020 से इन योजनाओं की ब्याज दरें स्थिर हैं। शेयर बाजार की बात करें तो जनवरी में सेंसेक्स जरूर ऊपर था, लेकिन यह मार्च में 58,568 पर बंद हुआ था। शुक्रवार को भी यह 58,840 पर बंद हुआ। यानी इसमें भी निवेशकों को कोई बहुत ज्यादा फायदा नहीं मिला है। हालांकि, इस दौरान आरबीआई द्वारा रेपो रेट में आक्रामक वृद्धि के बाद बैंकों ने जमा में मामूली इजाफा तो किया, पर महंगाई की तुलना में वह अभी भी काफी कम है।

सोने की कीमतों में हाल के समय में जमकर गिरावट आई है। इस साल जनवरी में सोने की कीमत प्रति दस ग्राम 49,100 रुपये थी। इस समय भी यह इससे मामूली ज्यादा है। यानी किसी ने अगर सोने में निवेश किया होगा तो आठ महीने में भी उसे कोई फायदा नहीं हुआ है। फरवरी में जब रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू हुआ तो उस समय सुरक्षित माने जाने वाले इस साधन में लोगों ने जमकर निवेश किया। इससे इसकी कीमतें एक बार तो 53,000 रुपये को पार कर गईं। लेकिन इसी हफ्ते अमेरिकी फेडरल बैंक फिर से ब्याज दरों में ज्यादा इजाफा करने के पक्ष में है।

अमेरिका के साथ ही बैंक ऑफ जापान, भारत और बैंक ऑफ इंग्लैंड भी अपनी मौद्रिक नीति की समीक्षा करने वाले हैं, जिसमें दरों के बढ़ने की उम्मीद है। इससे सोने की कीमतों में भारी गिरावट आ रही है। सोने की कीमतें इस समय साल 2020 के स्तर पर चली गई हैं। पिछले हफ्ते इसकी कीमत 2.4 फीसदी गिरी थी। पांच हफ्तों में यह चौथा हफ्ता है, जब सोने की कीमतों में गिरावट देखने को मिली है।

छोटी योजनाओं में शामिल सुकन्या समृद्धि योजना, सावधि जमा, रिकरिंग जमा जैसे साधनों पर अधिकतम 7.40 फीसदी का ब्याज मिल रहा है। जबकि न्यूनतम यह 4 फीसदी पर है। सबसे ज्यादा सुकन्या योजना पर है जो 7.40 फीसदी है। 10 साल के बॉन्ड की ब्याज दर अप्रैल, 2022 से 7 फीसदी के ऊपर है। जून से अगस्त के दौरान इसका औसत 7.31 फीसदी रहा है। ऐसे में सरकार इसे देखते हुए ब्याज दरों को बढ़ाने का फैसला ले सकती है।

छोटी ब्याज दरों को तय करने का सरकार का एक अलग ही नियम है। 28 मार्च, 2016 को वित्त मंत्रालय द्वारा जारी एक प्रेस रिलीज के मुताबिक, पीपीएफ पर सरकारी प्रतिभूतियों की औसत 3 महीने की ब्याज दर से 0.25 फीसदी ब्याज ज्यादा दिया जाना चाहिए। इस आधार पर 7.31 के साथ इस 0.25 फीसदी को जोड़ दिया जाए तो पीपीएफ पर इस बार 7.56 फीसदी ब्याज मिलना चाहिए। फिलहाल 7.1 फीसदी ब्याज मिलता है।

सुकन्या समृद्धि पर अभी ब्याज 7.6 फीसदी है जो 8.3 फीसदी होना चाहिए। सरकार के नियम के मुताबिक, इस पर औसत तीन महीने के बाद 0.75 फीसदी ज्यादा ब्याज देना चाहिए। इस तरह से 7.6 और 0.75 के बाद ब्याज 8.3 फीसदी होना चाहिए। हालांकि, सरकार इस नियम को तुरंत लागू नहीं करती है।

शेयर बाजार लंबे समय में निवेशकों को अच्छा रिटर्न देता है और इसका यह इतिहास भी रहा है। ऐसे में निवेशकों को इस समय शेयर बाजार पर भरोसा करना चाहिए। थोड़ा बहुत उतार-चढ़ाव संभव है, फिर भी लंबे समय में इसमें दो अंकों से ज्यादा का फायदा मिल सकता है।

anita
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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