वाराणसी, 9 अप्रैल 2025, बुधवार। वाराणसी का मिर्जामुराद थाना, जो कभी ब्रिटिश शासनकाल की निशानी था, अब एक नए युग की शुरुआत करने जा रहा है। 1939 में बनी यह इमारत अपनी जर्जर हालत के चलते दो साल पहले बुलडोजर की भेंट चढ़ गई थी। लेकिन अब, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 11 अप्रैल को काशी (मेंहदीगंज) आगमन के मौके पर इसके नए प्रशासनिक भवन का शिलान्यास होने की खबर ने पुलिसकर्मियों के चेहरों पर खुशी की लहर दौड़ा दी है। यह नया भवन न सिर्फ एक इमारत होगा, बल्कि इतिहास और आधुनिकता के संगम का प्रतीक भी बनेगा।
जर्जर दीवारों से अस्थाई ठिकाने तक
वाराणसी-प्रयागराज मार्ग के किनारे बसा मिर्जामुराद थाना अपने समय का एक मजबूत ढांचा था। इसमें कार्यालय, प्रभारी कक्ष, मालखाना, बंदी गृह, भोजनालय और बैरक तक सब कुछ था। लेकिन समय के साथ इसकी दीवारें और छतें जर्जर हो गईं। 2009-10 में इसे निष्प्रयोज्य घोषित कर दिया गया। फिर भी, मजबूरी में पुलिसकर्मी इसी ढहते भवन में डटे रहे। 2020 में हालात को थोड़ा सुधारने के लिए एक बैरक और वाहन गैराज को जोड़कर छत की मरम्मत की गई और अस्थाई तौर पर कार्यालय, बंदी गृह और मालखाना चलाया जाने लगा। लेकिन यह सब कुछ वैसा ही था जैसे किसी टूटे जहाज को किनारे तक पहुंचाने की कोशिश।
बुलडोजर से नए सपनों की नींव तक
दो साल पहले इस पुराने भवन की नीलामी हुई और प्रयागराज के एक ठेकेदार ने जेसीबी चलाकर इसे धराशायी कर दिया। जमीन को समतल कर सिपाहियों के लिए दो नए बैरक बनाए गए। अब सरकार ने नए प्रशासनिक भवन के लिए 7.99 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। यह नया थाना न सिर्फ पुलिसकर्मियों को बेहतर सुविधाएं देगा, बल्कि क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था को भी मजबूत करेगा।
मिर्जामुराद: नाम के पीछे की कहानी
मिर्जामुराद का नाम सुनते ही जिज्ञासा होती है कि आखिर यह नाम आया कहां से? राजस्व अभिलेखों में तो बस गौर गांव का जिक्र है, मिर्जामुराद का कोई निशान नहीं। लेकिन लोककथाएं कुछ और कहती हैं। कहा जाता है कि मिर्जा नाम का एक शासक कभी इस रास्ते से गुजर रहा था। उसने यहीं छावनी डाली और रुक गया। संतान सुख से वंचित मिर्जा की मुराद यहीं पूरी हुई, जब उसे संतान की प्राप्ति हुई। खुशी से अभिभूत मिर्जा ने इस जगह का नाम मिर्जामुराद रखा और थाने की नींव डाली। सच या कहानी, यह किस्सा मिर्जामुराद की पहचान को और भी रोचक बनाता है।
नई शुरुआत का इंतजार
अब, जब पीएम मोदी के हाथों नए थाने की नींव रखी जाएगी, तो यह सिर्फ एक इमारत का शिलान्यास नहीं होगा। यह मिर्जामुराद के गौरवशाली अतीत और सुरक्षित भविष्य के बीच एक सेतु होगा। पुलिसकर्मियों की वह खुशी, जो आज उनके चेहरों पर झलक रही है, उस जर्जर भवन की दीवारों से निकलकर एक मजबूत नींव की ओर बढ़ रही है। मिर्जामुराद की मुराद एक बार फिर पूरी होने को तैयार है!