प्रदेश में सत्र 2022-23 में 17 लाख निरक्षरों को साक्षर बनाया जाएगा। नव भारत साक्षरता अभियान के तहत सभी जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों व डायट प्राचार्यों को निरक्षरों को चिह्नित करने निर्देश दिए गए हैं। यही नहीं चिह्नित निरक्षरों को शिक्षित करने के लिए स्वयंसेवी शिक्षकों की सूची भी गांव, बस्ती व मजरावार तैयार हो रही है।
योजना के तहत निरक्षरों का चिह्नांकन परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों के जरिए कराया जा रहा है। ये शिक्षक अपने विद्यालय से सटे क्षेत्र में घर-घर संपर्क करेंगे। इस दौरान किसी घर में अगर बुजुर्ग भी निरक्षर है, तो उसका पता लगाया जाएगा। इसके बाद उन्हें साक्षर करने की कवायद शुरू होगी। एक स्वयंसेवी शिक्षक पर दस निरक्षरों को साक्षर करने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
इस संबंध में निदेशक साक्षरता एवं वैकल्पिक शिक्षा/सचिव गणेश कुमार ने विस्तृत निर्देश जिलों को जारी किए हैं। यही नहीं निरक्षरों को चिह्नित करने का जिलेवार लक्ष्य भी तय किया गया है। इसमें होने वाले बजट में 60 फीसदी हिस्सा केंद्र और 40 फीसदी राज्य का होगा। चिह्नांकन कार्य 15 सितंबर तक पूरा किया जाएगा। इसके बाद आगे की रूपरेखा तय होगी।
निरक्षरों को साक्षर करने के लिए बिना किसी मानदेय के योगदान देने वाले स्वयंसेवकों का चिह्नांकन क्षेत्रवार चल रहा है। इसके तहत विभिन्न विभागों, स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों को जोड़ा जा रहा है। स्वयंसेवक के रूप में कक्षा पांच व उससे ऊपर के स्कूली छात्रों को भी जुड़ने के लिए प्रेरित करने को कहा गया है। ऐसे बच्चे अपने परिवार या पड़ोसियों को साक्षर करेंगे। इसके अलावा एमएड, बीएड, बीटीसी, जेबीटी आदि पाठ्यक्रमों के पूर्व छात्रों को भी जोड़ने के लिए कहा गया है।