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Monday, May 6, 2024

भ्रामक विज्ञापन मामला: SC के सवाल के बाद पतंजलि ने फिर छपवाई माफी, पिछली बार से बड़ा आकार

सुप्रीम कोर्ट की तरफ से भ्रामक विज्ञापन मामले में सवाल पूछे जाने के बाद बुधवार को पतंजलि ने एक बार फिर अखबार में माफी छपवाई है। इस बार इसका आकार भी पहले से ज्यादा बड़ा है। गौरतलब है कि पतंजलि ने एक दिन पहले भी ऐसा ही एक माफीनामा छपवाया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इसकी जानकारी मांगते हुए पतंजलि से पूछा था कि क्या उसकी माफी उसके विज्ञापनों जितनी बड़ी है। 

रामदेव और उनके साथी बालकृष्ण की तरफ से अखबार में छपवाई गई माफी का आकार एक अखबार के पन्ने का लगभग तीन-चौथाई है। इसमें बड़े-बडे़ अक्षरों में ‘बिना शर्त के माफी’ (Unconditional Apology) लिखा है। साथ ही इसमें माफी मांगते हुए कहा गया, “भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय (रिट याचिका सं. 645/2022) के संदर्भ में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों/आदेशों का पालन न करने अथवा अवज्ञा के लिए हम वैयक्तिक रूप से, साथ ही कंपनी की ओर से बिना शर्त क्षमायाची हैं।

हम विगत 22.11.2023 को बैठक / संवाददाता सम्मेलन आयोजित करने के लिए भी क्षमाप्रार्थी हैं। हम अपने विज्ञापनों के प्रकाशन में हुई गलती के लिए भी ईमानदारी से क्षमा चाहते हैं और पूरे मन से प्रतिबद्धता व्यक्त करते हैं कि ऐसी त्रुटियों की पुनरावृति नहीं होगी। हम पूरी सावधानी और अत्यंत निष्ठा के साथ माननीय न्यायालय के निर्देशों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम न्यायालय की महिमा का सम्मान बनाए रखने और लागू कानूनों एवं माननीय न्यायालय / संबंधित अधिकारियों के निर्देशों का पालन करने का वचन देते हैं।” इस माफी के अंत में पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के साथ आचार्य बालकृष्ण, स्वामी रामदेव का नाम भी दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने उठाए थे सवाल
गौरतलब है कि एक दिन पहले ही रामदेव और बालकृष्ण सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश हुए थे। उनकी ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने पीठ से कहा था कि वे अपनी गलतियों के लिए बिना शर्त माफी मांगते हुए अतिरिक्त विज्ञापन भी जारी करेंगे। उन्होंने कहा कि उन्होंने सोमवार को देश भर के 67 समाचार पत्रों में माफीनामा प्रकाशित कराया है।  

इस पर जज जस्टिस हिमा कोहली ने पूछा, ‘क्या माफी आपके विज्ञापनों के आकार के बराबर मांगी गई है?’ इस पर रोहतगी ने कहा कि माफी 67 अखबारों में प्रकाशित हुई थी। इसकी लागत दसियों लाख है। वहीं, न्यायमूर्ति कोहली ने कहा कि हम सोच रहे हैं कि क्या आपके द्वारा प्रकाशित पूरे पृष्ठ के विज्ञापनों के लिए लाखों रुपये खर्च होते हैं? 

anita
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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