नई दिल्ली, 27 जनवरी 2025, सोमवार। भारत में कुष्ठ रोग की समस्या अभी भी एक बड़ा चुनौती बनी हुई है। देश में 750 कुष्ठ बस्तियां ऐसी हैं जो समाज की मुख्यधारा से अलग-थलग हैं। यह समस्या न केवल स्वास्थ्य से जुड़ी है, बल्कि यह समाज में व्याप्त भेदभाव और छुआछूत को भी दर्शाती है। कार्यालय मुख्य आयुक्त दिव्यांगजन के आयुक्त एस. गोविंदराज ने इस समस्या के समाधान के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया है। विश्व कुष्ठ दिवस पर एक सेमिनार को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए गोविंदराज ने इस रोग से प्रभावित व्यक्तियों के सामने आने वाली कानूनी चुनौतियों पर भी बात की और उनके अधिकारों और सम्मान को सुनिश्चित करने के लिए व्यापक समाधान का आग्रह किया।
सीसीपीडी द्वारा आयोजित इस सेमिनार में सरकारी अधिकारियों, गैर सरकारी संगठनों, चिकित्सा विशेषज्ञों और अन्य ने भाग लिया जिन्होंने कुष्ठ रोग के बारे में मिथकों को दूर करने और प्रभावित व्यक्तियों को इसमें शामिल करने को बढ़ावा देने के विषय में बात की। गोविंदराज ने कहा कि भारत में 750 कुष्ठ बस्तियां समाज की मुख्यधारा से अलग-थलग हैं और उन्होंने कुष्ठ रोग से जुड़े भेदभाव को समाप्त करने के लिए सामूहिक प्रयास करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हमें इस रोग के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसके पीड़ित व्यक्तियों के अधिकारों और सम्मान को सुनिश्चित करने के लिए काम करना होगा।
दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के सचिव राजेश अग्रवाल ने कहा है कि कुष्ठ रोग से संबंधित छुआछूत जाति आधारित भेदभाव से भी बदतर है। उन्होंने बताया कि कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों को अक्सर समाज से अलग-थलग किया जाता है, यहां तक कि उनके परिवार के सदस्य भी उनसे दूरी बना लेते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए अग्रवाल ने कानूनी सुधार, शीघ्र पहचान और मजबूत पुनर्वास उपायों की मांग की है। वरिष्ठ वैज्ञानिक एस. शिवसुब्रमण्यम ने बताया कि वैश्विक कुष्ठ रोग के 53 प्रतिशत मामले भारत में हैं और समुदाय आधारित पुनर्वास की आवश्यकता पर बल दिया है।
कुष्ठ रोग उन्मूलन की चिकित्सीय चुनौतियों पर भी चर्चा की गई है। यह समस्या न केवल स्वास्थ्य से जुड़ी है, बल्कि यह समाज में व्याप्त भेदभाव और छुआछूत को भी दर्शाती है। सेमिनार में अंतरराष्ट्रीय कुष्ठ रोग एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. पी. नरसिम्हा राव भी शामिल हुए, जिन्होंने कुष्ठ रोग उन्मूलन की चिकित्सीय चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा की।